महाराणा स्वरूप सिंह
महाराणा स्वरूप सिंहजी | |
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महाराणा सर श्री स्वरूप सिंहजी | |
उदयपुर के महाराणा | |
शासनावधि | 1842–61 |
पूर्ववर्ती | महाराणा सरदार सिंहजी |
उत्तरवर्ती | HH महाराणा सर श्री शम्भू सिंहजी |
जन्म | 08 जनवरी 1815 |
निधन | 17 नवम्बर 1861 | (उम्र 46 वर्ष)
जीवनसंगी | महारानीजी सा राठौड़जी गुलाब कँवरजी पुत्री राव गुमान सिंहजी राठौड़ राघवगढ़
महारानीजी सा चावड़ीजी फूल कँवरजी पुत्री राव ज़ालिम सिंहजी चावड़ा अर्जिया-मेवाड़ महारानीजी सा भटियानीजी चाँद कँवरजी पुत्री राव साहेब सिंहजी भाटी बरसालपुर-बीकानेर महारानीजी सा राठौड़जी (मेड़तणीजी) अभय कँवरजी पुत्री राव अजीत सिंहजी राठौड़ घाणेराव |
पिता | बागोर के महाराज शिवदान सिंहजी |
माता | रानी राजावतजी (कछवाहीजी) ऊग्र कँवरजी |
महाराणा स्वरूप सिंहजी[1] (या सरूप सिंहजी) (15 जनवरी 1815 - 17 नवंबर 1861) उदयपुर-मेवाड़ रियासत के महाराणा थे। वह मेवाड़ राजवंश के राज परिवार की बागोर शाखा के महाराज शिवदान सिंहजी के जैविक पुत्र थे,[2] लेकिन महाराणा सरदार सिंहजी ने उन्हें गोद लिया था। उनके शासनकाल में 1857 के भारतीय विद्रोह को दबा दिया गया था, हालांकि वह ब्रिटिशों के साथ 1818 संधि के पक्ष में महाराणा भीम सिंहजी द्वारा हस्ताक्षरित होने के कारण किनारे पर रहे। भारतीय विद्रोह के चार साल बाद 1861 में उनकी मृत्यु हो गई।
महाराणा के कोई पुत्र नहीं होने के कारण उन्होंने अपने भाई के पौत्र कुंवर शम्भू सिंहजी को गोद लिया था और उसे अपना उतराधिकारी नियुक्त किया था।
महाराणा स्वरूप सिंहजी ने पूर्व महाराणा सरदार सिंहजी की शेष दो पुत्रियों के विवाह अपनी पैतृक बहने होने के नाते संपन्न करवाया।
प्रथम पुत्री बाईजी लाल मेहताब कँवरजी का विवाह महाराणा सरदार सिंहजी ने अपने जीवनकाल में ही बीकानेर के युवराज सरदार सिंहजी के साथ करवाया दिया था। जब वे अपने पिता महाराजा रतन सिंहजी के बाद बीकानेर के नय नरेश नियुक्त हुए तो उदयपुरी रानी उनकी प्रमुख महारानी बनी एवं उन्हें पटरानीयों में से एक का स्थान प्राप्त हुआ। दूसरी पुत्री बाईजी लाल फूल कँवरजी का विवाह महाराणा स्वरूप सिंहजी ने कोटा के महाराव राजा राम सिंहजी द्वितीय के साथ संपन्न करवाया तथा तीसरी पुत्री बाईजी लाल सौभाग कँवरजी का शुभ लगन महाराजा बांधवेश रघुराज सिंह जूदेव जी रीवा के साथ हुआ।