गोदावरी नदी
कावेरी नदी Kaaveri River | |
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राजमंड्री, आन्ध्र प्रदेश में गोदावरी पर सेतु | |
प्रायद्वीपीय भारत में गोदावरी नदी मार्ग का मानचित्र | |
स्थान | |
देश | भारत |
राज्य | महाराष्ट्र, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओड़िशा |
भौतिक लक्षण | |
नदीशीर्ष | ब्रह्मगिरि पहाड़ |
• स्थान | त्र्यम्बकेश्वर, नाशिक ज़िला, महाराष्ट्र |
• निर्देशांक | 19°55′48″N 73°31′39″E / 19.9300°N 73.5275°E |
• ऊँचाई | 920 मी॰ (3,020 फीट) |
नदीमुख | बंगाल की खाड़ी |
• स्थान |
अंतरवेदी, कोनसीमा ज़िला, आन्ध्र प्रदेश |
• निर्देशांक |
16°19′08″N 81°42′54″E / 16.319°N 81.715°Eनिर्देशांक: 16°19′08″N 81°42′54″E / 16.319°N 81.715°E |
• ऊँचाई |
0 मी॰ (0 फीट) |
लम्बाई | 1,465 कि॰मी॰ (910 मील) |
प्रवाह | |
• औसत | 3,505 m3/s (123,800 घन फुट/सेकंड) |
जलसम्भर लक्षण |
गोदावरी नदी (Godavari River) behror के प्रायद्वीपीय भाग की एक प्रमुख नदी है। यह नदी प्रायद्वीपीय नदियों में से सबसे बड़ी नदी है। इसे दक्षिण गंगा भी कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति पश्चिमी घाट में त्रयंबक पहाड़ी से हुई है। यह महाराष्ट्र में नासिक ज़िले से निकलती है। इसकी लम्बाई प्रायः 2022 किलोमीटर है। इस नदी का पाट बहुत बड़ा है। गोदावरी की उपनदियों में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती, मंजिरा। यह महाराष्ट, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बहते हुए राजमंड्री नगर के समीप बंगाल की खाड़ी मे जाकर मिलती है।[1][2][3] Varshith Teja
नदी की गहराई
[संपादित करें]इस गोदावरी नदी के एक काफी गहरी, एक सबसे बड़ी गहराई है, इसकी औसत गहराई 17 फीट (5 मीटर) और अधिकतम गहराई 62 फीट (89मीटर) है। यह केवल की गहराई 28 फीट (8.4) और मतलब गहराई 45 फीट (14 मीटर) है। 123 फीट (36 मीटर) से दूर बढ़ती है।
मुख्य धाराएँ
[संपादित करें]गोदावरी की सात शाखाएँ मानी गई हैं-
- गौतमी
- वसिष्ठा
- कौशिकी
- आत्रेयी
- वृद्धगौतमी
- तुल्या
- भारद्वाजी
नामकरण
[संपादित करें]कुछ विद्वानों के अनुसार, इसका नामकरण तेलुगु भाषा के शब्द 'गोद' से हुआ है, जिसका अर्थ मर्यादा होता है। एक बार महर्षि गौतम ने घोर तपस्या किया। इससे रुद्र प्रसन्न हो गए और उन्होंने एक बाल के प्रभाव से गंगा को प्रवाहित किया। गंगाजल के स्पर्श से एक मृत गाय पुनर्जीवित हो उठी। इसी कारण इसका नाम गोदावरी पड़ा। गौतम से संबंध जुड जाने के कारण इसे गौतमी भी कहा जाने लगा। इसमें नहाने से सारे पाप धुल जाते हैं। गोदावरी की सात धारा वसिष्ठा, कौशिकी, वृद्ध गौतमी, भारद्वाजी, आत्रेयी और तुल्या अतीव प्रसिद्ध है। पुराणों में इनका वर्णन मिलता है। इन्हें महापुण्यप्राप्ति कारक बताया गया है-
सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियताशन:।
महापुण्यमप्राप्नोति देवलोके च गच्छति ॥
वनस्पति और जीव
[संपादित करें]गोदावरी भी लुप्तप्राय फ्रिंज-लिप हुए कार्प का एक घर है (लाबेयो फ़िम्ब्रिटस)। गोदावरी डेल्टा में स्थित कोरिंगा मैन्ग्रोव वन देश में दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है। यहाँ विभिन्न प्रकार की मछली और क्रस्टेशियंस के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं। नदी की द्रोणी में स्थित कुछ अन्य वन्यजीव अभ्यारण्य निम्न हैं।
- कोरिंगा वन्य अभयारण्य
- पापीकोंडा राष्ट्रीय उद्यान
- इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- इटारनगरम वन्य अभयारण्य
- कावल वन्य अभयारण्य
- किन्नरसानी वन्य अभयारण्य
- मंजीरा वन्य अभयारण्य
- पोचाराम वन और वन्य अभयारण्य
- प्राणहिता वन्य अभयारण्य
- ताडोबा अंधारी बाघ परियोजना
- पेंच राष्ट्रीय उद्यान
- बोर वन्य अभयारण्य
- नवेगाव राष्ट्रीय उद्यान
- नागजीरा वन्य अभयारण्य
- गौतला वन्य अभयारण्य
- टिपेश्वर वन्य अभयारण्य
- पैंगांग वन्य अभयारण्य
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "River Godavari". rainwaterharvesting.org. मूल से 14 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-11-12.
- ↑ "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
- ↑ "Hand Book of Statistics, Andhra Pradesh," Bureau of Economics and Statistics, Andhra Pradesh, India, 2007