महिला मताधिकार
महिलाओं को मताधिकार (जिसे महिला मताधिकार, वोट करने का महिलाओं का अधिकार भी कहा जाता है) चुनावों में वोट देने के लिए महिलाओं का अधिकार है। 19वीं सदी के अंत में फ़िनलैंड, आइसलैंड, स्वीडन और कुछ ऑस्ट्रेलियाई उपनिवेशों और पश्चिमी अमेरिकी राज्यों में महिलाओं को सीमित मतदान अधिकार प्राप्त हुए।[1] मतदान अधिकार हासिल करने के प्रयासों के समन्वय के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठन, विशेषकर अंतर्राष्ट्रीय महिला मताधिकार गठबंधन (1904, बर्लिन, जर्मनी में स्थापित) का गठन किया गया, और इसने महिलाओं के समान नागरिक अधिकारों के लिए भी काम किया।[2] 1881 में, आइल ऑफ मैन ने संपत्ति का स्वामित्व रखने वाली महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। 1893 में, न्यूजीलैंड की ब्रिटिश कॉलोनी ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। साउथ ऑस्ट्रेलिया की कॉलोनी ने 1894 में ऐसा ही किया था और महिलाएं अगले चुनाव में मतदान कर सकी, जो 1895 में हुई थी। साउथ ऑस्ट्रेलिया ने भी पुरुषों के साथ महिलाओं के चुनाव के लिए खड़े होने की अनुमति दी थी। [3] 1899 में वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया ने पूर्ण महिला मताधिकार अधिनियमित किया, जिससे 31 जुलाई 1900 के संवैधानिक जनमत संग्रह में मतदान करने और 1901 राज्य और संघीय चुनाव में महिलाएं भाग ले सकी।[4] mountengu chemsford sudhar (भारत शासन अधिनियम 1919) द्वारा भारत में पहली बार महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला ।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Ellen Carol DuBois (1998). Woman Suffrage and Women's Rights. NYU Press. पपृ॰ 174–6. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780814719015. मूल से 21 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2017.
- ↑ Allison Sneider, "The New Suffrage History: Voting Rights in International Perspective", History Compass, (July 2010) 8#7 pp 692–703,
- ↑ "Women's Suffrage Petition 1894" (PDF). parliament.sa.gov.au. मूल (PDF) से 29 मार्च 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2017.
- ↑ "Legislative Assembly". The West Australian. Perth, WA. 15 December 1899. पृ॰ 7. मूल से 16 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 January 2017.jug