सामग्री पर जाएँ

शराबीपन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
शराबीपन
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
"King Alcohol and his Prime Minister" circa 1820
आईसीडी- 303
मेडलाइन प्लस alcoholism
एम.ईएसएच D000437

शराबीपन, जिसे शराब निर्भरता भी कहते हैं, एक निष्क्रिय कर देने वाला नशीला विकार है जिसे बाध्यकारी और अनियंत्रित शराब की लत के रूप में निरूपित किया जाता है जबकि पीन वाले के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उसके जीवन में नकारात्मक सामाजिक परिणाम देखने को मिलते हैं। अन्य नशीली दवाओं की लत की तरह शराबीपन को चिकित्सा की दृष्टि से एक इलाज़ योग्य बीमारी के रूप में परिभाषित किया गया है।[1] 19वीं सदी और 20वीं सदी की शुरुआत में, शराब पर निर्भरता को शराबीपन शब्द के द्वारा प्रतिस्थापित किये जाने से पूर्व इसे मदिरापान कहा जाता था।[2]

शराबीपन को सहारा देने वाले जैविक तंत्र अनिश्चित हैं, लेकिन फिर भी, जोखिम के कारकों में सामाजिक वातावरण, तनाव,[3] मानसिक स्वास्थ्य, अनुवांशिक पूर्ववृत्ति, आयु, जातीय समूह और लिंग शामिल हैं।[4][5] लम्बे समय तक चलने वाली शराब पीने की लत मस्तिष्क में शारीरिक बदलाव, जैसे - सहनशीलता और शारीरिक निर्भरता, लाती है, जिससे पीना बंद होने पर शराब वापसी सिंड्रोम का परिणाम सामने आता है। ऐसा मस्तिष्क प्रक्रिया बदलाव पीना बंद करने के लिए शराबी की बाध्यकारी अक्षमता को बनाए रखता है।[6] शराब प्रायः शरीर के प्रत्येक अंग को क्षतिग्रस्त कर देती है जिसमें मस्तिष्क भी शामिल है; लम्बे समय से शराब पीने की लत के संचयी विषाक्त प्रभावों के कारण शराबी को चिकित्सा और मनोरोग सम्बन्धी कई विकारों का सामना करने का जोखिम उठाना पड़ता है।[7] शराबीपन की वजह से शराबियों और उनके जीवन से जुड़े लोगों को गंभीर सामाजिक परिणामों का सामना करना पड़ता है।[8][9]

शराबीपन सहनशीलता, वापसी और अत्यधिक शराब के सेवन की चक्रीय उपस्थिति है; अपने स्वास्थ्य को शराब से होने वाली क्षति की जानकारी होने के बावजूद ऐसी बाध्यकारी पियक्कड़ी को नियंत्रित करने में पियक्कड़ की अक्षमता इस बात का संकेत देती है कि व्यक्ति एक शराबी हो सकता है।[10] प्रश्नावली पर आधारित जांच शराबीपन सहित नुकसानदायक पीने के तरीकों का पता लगाने की एक विधि है।[11] वापसी के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए आम तौर पर सहनशीलता-विरोधी दवाओं, जैसे - बेंज़ोडायज़ेपींस, के साथ शराब पीने से शराबी व्यक्ति को उबारने के लिए शराब विषहरण की व्यवस्था की जाती है।[12] शराब से संयम करने के लिए आम तौर पर चिकित्सा के बाद की जानी वाली देखभाल, जैसे - समूह चिकित्सा, या स्व-सहायक समूह, की आवश्यकता है।[13][14] शराबी अक्सर अन्य नशों, खास तौर पर बेंज़ोडायज़ेपींस, के भी आदि होते हैं, जिसके लिए अतिरिक्त चिकित्सीय इलाज की आवश्यकता हो सकती है।[15] एक शराबी होने के नाते पुरुषों की अपेक्षा शराब पीने वाली महिलाएं शराब के हानिकारक शारीरिक, दिमागी और मानसिक प्रभावों और वर्धित सामाजिक कलंक के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।[16][17] विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में शराबियों की संख्या 140 मिलियन है।[18][19]

वर्गीकरण

[संपादित करें]

चिकित्सीय परिभाषाएं

[संपादित करें]

राष्ट्रीय शराबीपन एवं नशा निर्भरता परिषद् और अमेरिकी व्यसन औषधि समाज शराबीपन को "पीने की आदत पर कमज़ोर नियंत्रण, नशीली शराब की पूर्वव्यस्तता, प्रतिकूल परिणामों की जानकारी होने के बावजूद शराब का सेवन और विकृत सोच जैसी विशेषताओं वाले एक प्राथमिक और गंभीर रोग" के रूप में परिभाषित करते हैं।[20] DSM-IV (मनोरोग-विज्ञान एवं मनोविज्ञान की प्रभावशाली रोग-पहचान पुस्तिका) शराब की लत को बार-बार होने वाले दुष्परिणामों के बावजूद लगातार सेवन के रूप में परिभाषित करती है।[21] यह आगे भी शराब पर निर्भरता को सहनशीलता, वापसी और पीने की अनियन्त्रणीय विवशता से जुड़े शराब की लत के रूप में परिभाषित करता है।[21] (नीचे DSM रोग-पहचान देखें .) मनोविज्ञान और मनोरोग विज्ञान में, शराबीपन शराब पर निर्भरता का लोकप्रिय शब्द है।[21]

शब्दावली

[संपादित करें]

शराब के साथ पियक्कड़ के सम्बन्ध में कई शब्द लागू होते हैं। उपयोग, दुरुपयोग, अत्यधिक उपयोग, लत, व्यसन और निर्भरता ये सभी शब्द पीने की आदतों की व्याख्या करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आम सूचक शब्द हैं, लेकिन इन शब्दों के वास्तविक अर्थ उनके इस्तेमाल होने के सन्दर्भ के आधार पर बहुत ज्यादा भिन्न हो सकते हैं।

उपयोग किसी पदार्थ के एक साधारण उपयोग को संदर्भित करता है। जो व्यक्ति शराब के साथ कोई पेय पीता है, तो इसका मतलब है कि वह शराब का उपयोग/सेवन कर रहा है। दुरुपयोग , समस्याकारी उपयोग , लत और अत्यधिक उपयोग शराब के अनुचित उपयोग को संदर्भित करते हैं जिसके कारण पीने वाले को शारीरिक, सामाजिक, या नैतिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है।[22]

मध्यम उपयोग को द डाइटरी गाइडलाइंस फॉर अमेरिकन्स द्वारा पुरुषों के लिए प्रति दिन दो मादक पेय से अधिक नहीं और महिलाओं के लिए प्रति दिन एक मादक पेय से अधिक नहीं के रूप में परिभाषित किया गया है।[23]

संकेत और लक्षण

[संपादित करें]

लम्बे समय तक शराब के दुरुपयोग/अनुचित सेवन के प्रभाव

[संपादित करें]
A diagram showing the mostly bad effects of consuming a large amount of alcohol compared to the good effects of a small to moderate amount.
इथेनॉल के संभव दीर्घकालिक प्रभावों में से सबसे महत्वपूर्ण.इसके अतिरिक्त, गर्भवती महिलाओं में, यह भ्रूण शराब सिंड्रोम का कारण बनता है।

शराबीपन का प्राथमिक प्रभाव पीड़ित व्यक्ति को इतनी बार और इतनी मात्रा में पीने के लिए प्रोत्साहित करना है जो उसके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। किसी के पीने की आदत को नियंत्रित करने की अक्षमता द्वारा होने वाला दूसरा नुकसान कई तरह से जाहिर हो जाता है। शराबीपन के कारण शराबी और उनके परिवार एवं दोस्तों को महत्वपूर्ण सामाजिक मूल्य भी चुकाना पड़ता है।[24] शराबीपन को सहनशीलता, शारीरिक निर्भरता के साथ-साथ शराब के सेवन पर काबू पाने की असमर्थता द्वारा भी निरूपित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि शराब से प्राप्त होने वाली शारीरिक सहनशीलता और निर्भरता एक शराबी की पीने की आदत को रोकने की असमर्थता में एक भूमिका निभाता है।[6] शराबीपन का मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है जिसके कारण मनोरोग विकारों का विकास होता है।[25] लगभग 18 प्रतिशत शराबी आत्महत्या करते हैं।[26] शोध से पता चला है कि आत्महत्या के सभी मामलों में से 50 प्रतिशत शराब या नशे पर निर्भरता से जुड़े होते हैं। किशोरों में शराब या मादक पदार्थों के अनुचित सेवन से आत्महत्या करने वालों की संख्या अधिक है जो कुल आत्महत्या के मामलों में से 70 प्रतिशत है।[27]

शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव

शराब के सेवन से जुड़े शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों में जिगर का सूत्रण रोग, अग्नाशयकोप, मिरगी, बहुतंत्रिकाविकृति, मादक मनोभ्रंश, हृदय रोग, पोषण की कमी, यौन दुष्क्रिया और कई स्रोतों से होने वाली मौत शामिल हो सकते हैं। गंभीर संज्ञानात्मक समस्याएं शराबियों में असामान्य नहीं हैं। मनोभ्रंश के सभी मामलों में से लगभग 10 प्रतिशत मामले शराब से संबंधित हैं जो शराब को मनोभ्रंश का दूसरा प्रमुख कारण बनाता है।[28] शारीरिक स्वास्थ्य पर पर पड़ने वाले अन्य प्रतिकूल प्रभावों में विकासशील हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी बीमारी, कु-अवशोषण, शराब से होने वाली जिगर की बीमारी और कैंसर शामिल हैं। निरंतर शराब का सेवन करने से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र और परिधीय तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त हो सकता है।[29][30] शराबियों की मौत की सबसे आम वजह हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी जटिलताएं हैं।[31]

मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव

लंबे समय से शराब के अनुचित सेवन से मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत ज्यादा असर पड़ सकता है। शराब का अनुचित सेवन न केवल शरीर के लिए, बल्कि मस्तिष्क के क्रियाकलापों के लिए भी विषाक्त होता है और इस तरह शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ व्यक्ति पर भी अनुचित सेवन के लम्बे समय तक रहने वाले प्रभाव से प्रतिकूल असर पड़ सकता है।[32] शराबियों में मनोरोग विकार, विशेष रूप से चिंता और अवसाद विकार, आम हैं और साथ ही साथ ज्यादा से ज्यादा 25 प्रतिशत शराबियों में गंभीर मनोरोग गड़बड़ी की शिकायत होती है। आमतौर पर शराब के अनुचित सेवन के कारण होने वाले मनोरोग के ये लक्षण शराब छोड़ने के दौरान शुरू में तो भीषण रूप लेने लगते हैं लेकिन आम तौर पर संयम करने पर मनोरोग के लक्षणों में धीरे-धीरे सुधार होने लगता है या वे एक साथ गायब हो जाते हैं।[33] मनोविकृति, भ्रम और कार्बनिक मस्तिष्क सिंड्रोम लम्बे समय तक होने वाले शराब के सेवन से प्रेरित हो सकते हैं जिसकी वजह से प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य विकारों, जैसे - मनोभाजन, में गलत रोग पहचान की समस्या हो सकती है।[34] मस्तिष्क में तंत्रिका-रासायनिक तंत्र की विकृति के कारण और लम्बे समय तक शराब के अनुचित सेवन के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में पहली बार आतंक विकार बदतर या विकसित हो सकता है। आतंक विकार शराब वापसी सिंड्रोम के भाग के रूप में भी बदतर या विकसित हो सकता है।[35][36]

प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार और शराबीपन की सह-घटना अच्छी तरह से प्रलेखित है।[37][38][39] बहुत ज्यादा बीमार रहने वाले लोगों के बीच आम तौर पर एक अंतर स्थापित हो जाता है। यह अंतर उन दो प्रकार के अवसादग्रस्त लोगों के बीच होता है जिनमें से पहले प्रकार के अवसादग्रस्त लोग अत्यधिक परिमाण में शराब का सेवन करने से औषधीय या विषैले प्रभावों के प्रति द्वितीयक होते हैं और संयम की सहायता से उसे छोड़ने की कोशिश करते हैं और दूसरे प्रकार के अवसादग्रस्त लोग इन प्रभावों के प्रति प्राथमिक होते हैं और संयम की सहायता से उसे छोड़ते नहीं हैं। अन्य दवाओं का अतिरिक्त उपयोग शराबियों में अवसाद के खतरे को बढ़ा सकता है।[40] अत्यधिक शराब पीने से पहले इसके प्रभाव से अवसादग्रस्त लोग या वे लोग जिन पर अत्यधिक शराब के सेवन की अनुपस्थिति में भी इसका असर रहता है, उन्हें आमतौर पर "स्वतंत्र" एपिसोड के रूप में संदर्भित किया जाता है जबकि जो लोग हेतुविज्ञान की दृष्टि से अत्यधिक शराब पीने से संबंधित प्रतीत होते हैं, उन्हें "पदार्थ-प्रेरित" नाम दिया जाता है।[41][42][43] चिरकालिक शराबियों में आत्महत्या के दर अधिक होती है और एक व्यक्ति के पीने के समय में वृद्धि के साथ-साथ आत्महत्या का खतरा भी बढ़ता रहता है। शराबियों में आत्महत्या के वर्धित खतरे का कारण बनने वाली कारकों में मस्तिष्क प्रक्रिया की शारीरिक विकृति का कारण बनने वाले शराब की चिरकालिक लत के साथ-साथ शराबियों में आम तौर पर पाया जाने वाले सामाजिक अलगाव भी शामिल है। आत्महत्या शराब की लत पकड़ चुके किशोरों में भी बहुत आम है और किशोरों की आत्महत्या के कुल मामलों में से 25 प्रतिशत मामले शराब की लत से संबंधित पाए जाते हैं।[44]

सामाजिक प्रभाव

शराबीपन से उत्पन्न होने वाली सामाजिक समस्याएं काफी बड़ी हो सकती हैं और ये कुछ हद तक लम्बे समय से शराब के अनुचित सेवन से मस्तिष्क में होने वाले गंभीर रोगात्मक बदलावों के कारण होती हैं और कुछ हद तक शराब के नशीले प्रभाव के कारण होती हैं।[24][28] शराब की लत आपराधिक अपराधों को करने की वर्धित जोखिम से भी जुडी है जिसमें बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा, बलात्कार, चोरी और हमले शामिल हैं।[45] शराबीपन रोजगार की हानि से जुड़ा है,[46] जिससे वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और रहने के स्थानों से भी हाथ धोना पड़ सकता है। अनुचिम समय में शराब पीना और निम्न स्तरीय विवेक के कारण किए जाने वाले व्यवहार कानूनी परिणामों, जैसे - पीकर गाड़ी चलाने[9] का आपराधिक आरोप या सार्वजानिक अव्यवस्था, या अपकारी आचरण की वजह से नागरिक दंड, तक ले जा सकते हैं। नशे की हालत में शराबी का व्यवहार और मानसिक दुर्बलता आसपास के लोगों पर बहुत गहरा असर डालती है और इससे परिवार एवं दोस्तों से अलगाव भी हो जाता है और संभवतः वैवाहिक जीवन में संघर्ष और तलाक, या घरेलू हिंसा का परिणाम दे सकता है। इससे आत्म-सम्मान की हानि हो सकती है और जेल भी जाना पड़ सकता है। शराबीपन की वजह से बच्चों की उपेक्षा भी की जा सकती है जिसके बाद शराबी के बच्चों के भावनात्मक विकास की क्षति होती है जो बहुत दिनों तक, यहां तक कि उनके व्यस्क होने के बाद भी, कायम रहती है।[8]

शराब से वापसी

[संपादित करें]

शराब से वापसी अधिकांश अन्य नशों से काफी अलग है जिसमें ऐसा करना बहुत घातक हो सकता है। उदाहरण के तौर पर हेरोइन से वापसी करना शायद ही कभी घातक होता है। हेरोइन या कोकीन से वापसी करने के दौरान जिन लोगों की मौत होती है वे आम तौर पर किसी गंभीर अन्तर्निहित स्वास्थ्य समस्या के शिकार होते हैं जो तुरंत वापसी के दबाव में बदतर हो जाते हैं। हालांकि जिस किसी शराबी को कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है, उसमें वापसी के प्रत्यक्ष परिणामस्वरूप मरने का काफी जोखिम होता है यदि इसका सही ढंग से प्रबंध नहीं किया जाए.[24] दर्दनाशक-निद्राजनक दवाओं, जैसे - बार्बिटुरेट्स और बेंज़ोडायज़ेपींस जिनमें शराब (जो एक दर्दनाशक-निद्राजनक भी है) की कार्यवाही जैसी ही एक क्रियाविधि होती है, में भी वापसी के दौरान मौत का कारण बनने वाला इसी तरह का एक जोखिम होता है।[47]

शराब का प्राथमिक प्रभाव केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के अवसाद को बढ़ावा देने के साथ GABAA अभिग्राहक की उत्तेजना में वृद्धि करना है। लगातार शराब के अत्यधिक सेवन से ये अभिग्राहक असंवेदी बन जाते हैं और इनकी संख्या कम हो जाती है जिससे सहनशीलता और शारीरिक निर्भरता का परिणाम देखने को मिलता है। इस प्रकार जब शराब को, खास तौर पर एकदम अचानक से, छोड़ दिया जाता है, तो व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र को अनियंत्रित सिनेप्स उद्वेग का सामना करना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं जिनमें चिंता, जीवन के लिए खतरनाक दौरे, प्रलाप ट्रेमेंस एवं मतिभ्रम, कंपकंपी और संभवतः दिल का धड़कना बंद हो जाना शामिल है।[48][49]

तीव्र वापसी के लक्षण एक से तीन सप्ताह बाद कम होते हैं। कम गंभीर लक्षण (जैसे - अनिद्रा और चिंता, एन्हिडोनिया या आनंद की अनुभूति का लोप होना) पश्च-वापसी सिंड्रोम के भाग के रूप में कायम रह सकते हैं जिसमें धीरे-धीरे एक या एक से अधिक वर्षों तक संयम की सहायता से सुधार हो सकता है।[50][51][52] वापसी के लक्षणों में उस समय कमी आनी शुरू होती है जब शरीर और केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र प्रतिकूल सहनशीलता के अनुकूल होने लगता है और सामान्य शारीरिक क्रिया के लिए GABA की क्रियाशीलता को फिर से प्राप्त कर लेता है। अन्य तंत्रिका-प्रेषक तंत्र, खास तौर पर डोपामीन और NMDA, शामिल होते हैं।[6][53]

जोखिम के कारक

[संपादित करें]

पीने की शुरुआत की उम्र के साथ-साथ अनुवांशिक कारक भी शराबीपन के विकास के वर्धित जोखिम से जुड़े हैं। जो लोग शराबीपन के प्रति पहले से ही बहुत संवेदनशील होते हैं, उनमें औसत समय से पहले ही पीना शुरू करने की अधिक सम्भावना रहती है।[54] शराबीपन के विकास के जोखिम को प्रभावित करने वाले अनुवांशिक गुण शराबीपन के पारिवारिक इतिहास से जुड़े होते हैं।[55] एक प्रकाशित लेख से पता चला है कि कम उम्र में शराब का सेवन स्वयं जीनों की अभिव्यक्ति को प्रभावित करने के माध्यम से शराबीपन के विकास के जोखिम को भी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है जो शराब पर निर्भरता के जोखिम को बढ़ाता है।[56] यह धारणा रही है कि इस वार्धिक जोखिम का कारण अत्यधिक संवेदनशील विकासशील किशोर मस्तिष्क हो सकता है जो मस्तिष्क की अनुवांशिक अवस्था में परिवर्तन ला सकता है जो बदले में शराब पर निर्भरता के वर्धित जोखिम के लिए किशोर को तैयार करता है। शराबियों में से 40 प्रतिशत किशोरावस्था के अंतिम दौर में अत्यधिक शराब पी रहे थे। ज्यादातर शराबियों में शराबीपन का विकास किशोरावस्था या युवा वयस्कता के दौरान होता है। बचपन का गंभीर मानसिक आघात भी शराब के वार्धिक जोखिम या अन्य नशा सम्बन्धी समस्याओं से जुड़ा है। यह इस बात का सबूत है कि अनुवांशिक कारकों के साथ-साथ परिवेशी कारकों, जैसे - बचपन की तनावपूर्ण घटनाएं, का एक जटिल मिश्रण शराबीपन के विकास के जोखिम पर असर डालता है। जो जीन शराब के चयापचय को प्रभावित करते हैं, वे शराबीपन के जोखिम को भी प्रभावित करते हैं। अच्छे साथियों और परिवार का समर्थन शराबीपन के जोखिम को बढ़ने से रोकने में मदद करता है।[57]

रोग की पहचान

[संपादित करें]

शराब के सेवन के नियंत्रण की हानि का पता लगाने के लिए कई उपकरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये उपकरण प्रश्नावली रूप में ज्यादातर स्व-सूचनाएं हैं। एक अन्य आम विषय एक स्कोर या टैली है जो शराब के सेवन की सामन्य गंभीरता का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करता है।[11]

  • CAGE प्रश्नावली, यह नाम इसे इसके चार प्रश्नों के आधार पर दिया गया, एक ऐसा उदाहरण है जिसे किसी चिकित्सक के कार्यालय में रोगियों की तुरंत जांच के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

Two "yes" responses indicate that the respondent should be investigated further.

The questionnaire asks the following questions:

  1. Have you ever felt you needed to Cut down on your drinking?
  2. Have people Annoyed you by criticizing your drinking?
  3. Have you ever felt Guilty about drinking?
  4. Have you ever felt you needed a drink first thing in the morning (Eye-opener) to steady your nerves or to get rid of a hangover?[58][59]
CAGE प्रश्नावली ने शराब सम्बन्धी समस्याओं का पता लगाने में उच्च प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया है; तथापि, कम गंभीर शराब सम्बन्धी समस्याओं से पीड़ित लोगों, गोरी महिलाओं और महाविद्यालय के छात्रों में इसकी कुछ सीमाएं हैं।[60]
  • शराब निर्भरता डाटा प्रश्नावली CAGE परीक्षण से रोग की पहचान करने वाला अधिक संवेदनशील परीक्षण है।[61] यह शराब का अत्यधिक सेवन करनेवाले व्यक्तियों में से किसी एक के शराब पर निर्भरता के रोग की पहचान का भेद बताने में मदद करता है।
  • शराब सेवन विकार पहचान परीक्षण (AUDIT) विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विकसित एक जांच प्रश्नावली है। यह परीक्षण अद्वितीय है जिसे छः देशों में प्रमाणीकृत किया गया है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है।[63] CAGE प्रश्नावली की तरह, यह भी प्रश्नों के एक सरल समूह का इस्तेमाल करता है जो एक उच्च अंक प्राप्त करने वाली एक गहरी छानबीन करने का माध्यम है।

अनुवांशिक पूर्ववृत्ति परीक्षण

[संपादित करें]

मनोरोग अनुवांशिकीविद् जॉन आई. नर्नबर्गर जूनियर और लौरा जीन बाइरट का सुझाव है कि शराबीपन का केवल एक ही कारण नहीं होता है—अनुवांशिक सहित—बल्कि जींस "शरीर और मस्तिष्क में होने वाली प्रक्रियाओं को प्रभावित करके" एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं "जो संरक्षण या संवेदनशीलता उत्पन्न करने के लिए एक-दूसरे के साथ और व्यक्ति के जीवन के अनुभवों के साथ संपर्क स्थापित करते हैं।" वे यह भी सूचना देते हैं कि एक दर्जन से भी कम शराबीपन सम्बन्धी जींस की पहचान की गई है, लेकिन अभी भी बहुत खोज होने की सम्भावना है।[65]

एलील के लिए कम से कम एक अनुवांशिक परीक्षण मौजूद है जो शराबीपन और अफीमयुक्त मादक द्रव्य के नशे से सह-संबंधित है।[66] मानव डोपामीन अभिग्राहक जींस में एक पता लगाने योग्य भिन्नता होती है जिसे DRD2 टैक़-आई बहुरूपता के रूप में संदर्भित किया जाता है। जिन लोगों में इस बहुरूपता का A1 एलील (भेद) होता हैं, उनमें ओपियट्स और शराब की तरह एंडोर्फिन मुक्त करने वाली मादक द्रव्यों की लत की दिशा में थोड़ा कम लेकिन महत्वपूर्ण प्रवृत्ति होती है।[67] हालांकि यह एलील शराबियों और ओपियट का नशा करने वालों में थोड़ा ज्यादा आम है, लेकिन यह अपने आप में शराबीपन का एक पर्याप्त भविष्यवक्ता नहीं है और कुछ शोधकर्ताओं का तर्क है कि DRD2 का सबूत बहस का मुद्दा है।[65]

DSM द्वारा रोग की पहचान

[संपादित करें]

शराब पर निर्भरता के DSM-IV द्वारा रोग की पहचान शराबीपन के परिभाषा का एक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। कुछ हद तक यह शोध प्रोटोकॉलों के विकास में सहायता करता है जिसमें निष्कर्षों की एक दूसरे के साथ तुलना की जा सकती है। DSM-IV के अनुसार, शराब पर निर्भरता की एक पहचान है:[10]

...maladaptive alcohol use with clinically significant impairment as manifested by at least three of the following within any one-year period: tolerance; withdrawal; taken in greater amounts or over longer time course than intended; desire or unsuccessful attempts to cut down or control use; great deal of time spent obtaining, using, or recovering from use; social, occupational, or recreational activities given up or reduced; continued use despite knowledge of physical or psychological sequelae.

मूत्र और रक्त परीक्षण

[संपादित करें]

शराब के सही सेवन के लिए कई विश्वसनीय परीक्षण हैं जिनमें से रक्त शराब सामग्री (BAC) का परीक्षण एक आम परीक्षण है।[68] ये परीक्षण शराबियों और गैर-शराबियों में अंतर नहीं स्थापित करते हैं; हालांकि, लम्बे समय तक खूब ज्यादा पीने से शरीर पर कुछ पहचाने जाने योग्य प्रभाव दिखाई देने लगते हैं, जिनमें शामिल हैं:[69]

हालांकि, जैविक चिह्नकों के लिए इनमें से कोई भी रक्त परीक्षण उतना संवेदनशील नहीं होता है जितना जांच प्रश्नावली होती है।

चूंकि शराब सेवन विकारों को पूरे समाज पर असर डालने वाले कारक के रूप में देखा जाता है, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूरोपीय संघ और अन्य क्षेत्रीय निकायों, देश की सरकारों और सांसदों ने शराबीपन से होने वाले नुकसान को कम करने के उद्देश्य से शराब की नीतियों का निर्माण किया है।[70][71]

किशोरों और युवा वयस्कों को लक्ष्य बनाने वाले शराब या नशीले पदार्थों पर निर्भरता के परिणामस्वरूप प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य, सामाजिक और शैक्षिक अधो-उपलब्धि से निपटने को शराब की लत से होने वाले नुकसान को कम करने का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। जिस बढ़ती उम्र में शराब जैसी नशीले पदार्थों को ख़रीदा जा सकता हो, उस उम्र में शराब पर निर्भरता और उसकी लत से होने वाले नुकसान को कम करने के अतिरिक्त उपायों के रूप में शराब के विज्ञापनों को प्रतिबंधित या सीमित करने की सिफारिश की गई है। शराब और अन्य नशीले पदार्थों की लत के परिणामों के बारे में जनसंचार के माध्यमों से विश्वसनीय और सबूत पर आधारित शैक्षिक अभियान चलाने की भी सिफारिश की गई है। शराब और अन्य नशीले पदार्थों की लत से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए किशोरावस्था के दौरान और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित युवा लोगों को निशाना बनाकर शराब और नशीले पदार्थों के सेवन के बारे में माता-पिता को दिशा-निर्देश देने का भी सुझाव दिया गया है।[72]

प्रबंधन

[संपादित करें]

शराबीपन (एंटीडिप्सोट्रोपिक) के इलाज में काफी भिन्नता है क्योंकि इस स्थिति के लिए खुद कई दृष्टिकोण हैं। जो लोग शराबीपन को एक चिकित्सीय स्थिति या बीमारी के रूप में देखते हैं, वे उन लोगों की तुलना में अलग-अलग इलाज की सलाह देते हैं, जो, उदाहरण के तौर पर, इस स्थिति को सामाजिक पसंद में से एक के रूप में देखते हैं।

अधिकांश इलाज लोगों को अपने शराब के सेवन को बंद करने में मदद करने पर केन्द्रित हैं, जिसके बाद उन्हें शराब के प्रयोग पर पुनः लौटने से रोकने में उनकी मदद करने के लिए जीवन प्रशिक्षण और/या सामाजिक समर्थन प्रदान की जाती है। चूंकि शराबीपन में कई कारक होते हैं जो व्यक्ति को शराब पीना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, इसलिए पुनरावर्तन को सफलतापूर्वक रोकने के लिए इन सभी कारकों पर ध्यान दिया जाना चाहिए. इस प्रकार के इलाज का एक उदाहरण विषहरण है जिसके बाद सहायक चिकित्सा, स्व-सहायक समूहों में उपस्थिति और परछती क्रियाविधियों के चल रहे विकास के संयोजन से इलाज किया जाता है। शराबीपन का इलाज समुदाय आम तौर पर संयम-आधारित शून्य सहनशीलता वाले दृष्टिकोण का समर्थन करता है; हालांकि, ऐसे भी कुछ लोग हैं जो एक हानि-अवनति दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देते हैं।[73]

शराब विषहरण या शराबियों का "विषहरण करना" नशीले पदार्थों के प्रतिस्थापन के साथ युग्मित शराब के सेवन का एक आकस्मिक ठहराव है, जैसे - बेंज़ोडायज़ेपींस, जिसके शराब से वापसी को रोकने के एक जैसे प्रभाव हैं। जिन व्यक्तियों को केवल हल्की से मध्यम वापसी के लक्षणों का खतरा है, उनका विषहरण बाहरी-मरीजों के रूप में किया जा सकता है। जिन व्यक्तियों को गंभीर वापसी सिंड्रोम का खतरा होने के साथ-साथ जो महत्वपूर्ण या तीव्र अति-अस्वस्थ स्थिति के शिकार होते हैं, उनका इलाज आम तौर पर अस्पताल में रहकर इलाज कराने वाले रोगियों के रूप में किया जाता है। हालांकि, विषहरण वास्तव में शराबीपन का इलाज नहीं करता है। इसलिए पुनरावर्तन के जोखिम को कम करने के लिए विषहरण के साथ-साथ इलाज के उपयुक्त कार्यक्रम का भी किया जाना आवश्यक है।[12]

समूह चिकित्सा और मनोचिकित्सा

[संपादित करें]
बेनामी शराबी का एक क्षेत्रीय सेवा केंद्र.

विषहरण के बाद, उन अन्तर्निहित मनोवैज्ञानिकी मुद्दों से निपटने के लिए समूह चिकित्सा या मनोचिकित्सा के विभिन्न रूपों का इस्तेमाल किया जा सकता है जो शराब की लत के साथ-साथ पुनरावर्तन की रोकथाम के कौशल को प्रदान करने से संबंधित होते हैं। आपसी-सहायता वाले समूह-परामर्श का दृष्टिकोण संयम बनाए रखने के लिए शराबियों को मदद करने के सबसे आम तरीकों में से एक है।[13][14]

समभाजन और परिनियमन

[संपादित करें]

समभाजन और परिनियमन कार्यक्रमों, जैसे - मॉडरेशन मैनेजमेंट (Moderation Management) और ड्रिंकवाइज़ (DrinkWise), में सम्पूर्ण संयम अनिवार्य नहीं है। जबकि अधिकांश शराबी अपनी पीने की आदत को इस तरीके से सीमित कर पाने में असमर्थ होते हैं, कुछ परिनियमित सेवन का रास्ता अपनाते हैं। राष्ट्रीय शराब सेवन एवं शराबीपन संस्थान (NIAAA) द्वारा 2002 में की गई अमेरिकी अध्ययन से पता चला कि 17.7 प्रतिशत व्यक्तियों की पहचान शराब पर निर्भरता वाले रोगी के रूप में की गई जो एक साल से भी पहले कम-जोखिम वाले सेवन का तरीका अपना चुके थे। हालांकि, इस समूह में निर्भरता के बस कुछ ही प्रारंभिक लक्षण देखे गए।[74] 2001-2002 में कमी के रूप में निर्णित होने वाले उन्हीं विषयों का इस्तेमाल करके 2004-2005 में एक अनुवर्ती अध्ययन में समस्या उत्पन्न करने वाले सेवन से वापसी की दर की जांच की गई। अध्ययन से पता चला कि शराब का संयम ठीक हो रहे शराबियों की कमी का सबसे स्थिर रूप था।[75] शराबी पुरुषों के दो समूहों पर की गई एक दीर्घकालीन (60 वर्ष) जांच का निष्कर्ष था कि "पुनरावर्तन या संयम के विकास के बिना नियंत्रित सेवन की वापसी शायद ही एक दशक से ज्यादा समय के लिए कायम रही."[76]

दवाइयां

[संपादित करें]

शराबीपन के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की दवाइयों की सलाह दी जा सकती है।

आजकल इस्तेमाल होने वाली दवाइयां

  • एंटाब्यूज़ (Antabuse) (डिसुलफिरम) [[एसिटलडिहाइड|एसिटलडिहाइड]], जो इथेनॉल के रासायनिक परिवर्तन के दौरान शरीर द्वारा उत्पन्न होने वाला एक रसायन है, के उन्मूलन को रोकता है। एसिटलडिहाइड खुद ही शराब के सेवन से उत्पन्न होने वाले कई दुष्परिणामी लक्षणों का कारण है। समस्त प्रभाव यही है कि शराब के अंतर्ग्रहण के दौरान गंभीर असुविधा होती है: जो कि एक अत्यधिक तीव्र गति से क्रिया करने वाला और लम्बे समय तक रहने वाला अप्रिय दुष्परिणाम है। यह दवा लेते समय एक शराबी को बहुत अधिक मात्रा में शराब पीने के लिए हतोत्साहित कर देता है। हाल ही में एक 9-वर्षीय अध्ययन से पता चला कि एक व्यापक उपचार कार्यक्रम में पर्यवेक्षित डिसुलफिरम और एक संबंधित यौगिक कार्बामाइड को शामिल करने के परिणामस्वरूप संयम दर 50 प्रतिशत से अधिक थी।[77]
  • नाल्ट्रेक्सोन (Naltrexone) ओपियोइड अभिग्राहकों का एक प्रतिस्पर्धात्मक प्रतिपक्षी है जो बड़े प्रभावी ढंग से एंडोर्फिन और ओपियट्स का उपयोग करने की हमारी क्षमता को बाधित करता है। नाल्ट्रेक्सोन का प्रयोग शराब की लालसा को कम करने और संयम को प्रोत्साहित करने के लिया किया जाता है। शराब शरीर के एंडोर्फिन मुक्त करने का कारण है जो बदले में डोपामीन को मुक्त करता है और प्रतिफल के मार्गों को सक्रिय कर देता है; इसलिए जब नाल्ट्रेक्सोन शरीर में होता है तब शराब के सेवन से आनंददायक प्रभावों में कमी आती है।[79]

प्रयोगात्मक दवाइयां

  • टोपिरामेट (Topiramate) (ब्रांड नाम टोपामैक्स (Topamax)), जो स्वाभाविक रूप से घटित होने वाले शर्करा मोनोसैकराइड डी-फ्रुक्टोज़ का एक व्युत्पादन है, शराबियों को शराब छोड़ने या उनके पीने की मात्रा को कम करने में मदद करने में प्रभावशाली होने का पता चला है। सबूत बताते हैं कि टोपिरामेट उत्तेजक ग्लूटामेट अभिग्राहकों को विरोधी बना देता है, डोपामीन को मुक्त होने से रोकता है और निरोधात्कम गामा-अमीनोब्यूटायरिक एसिड की क्रियाशीलता को बढ़ाता है। टोपिरामेट की प्रभावशीलता के वर्ष 2008 की एक समीक्षा का निष्कर्ष निकला कि प्रकाशित परीक्षणों के परिणाम आशाजनक हैं, हालांकि इस बार शराब की निर्भरता के लिए पहली लाइन के एक एजेंट के रूप में संक्षिप्त साप्ताहिकी अनुपालन परामर्श के साथ संयोजन में टोपिरामेट का उपयोग करके समर्थन करने के लिए डाटा अपर्याप्त हैं।[82] 2010 की एक समीक्षा से पता चला कि मौजूदा शराब फामाकोथेरप्यूटिक विकल्प के लिए टोपिरामेट बेहतर हो सकता है। टोपिरामेट बड़े प्रभावशाली ढंग से शराब की लालसा और उसकी वापसी की गंभीरता को कम करने के साथ-साथ जीवन दरों की गुणवत्ता में सुधार लाता है।[83]

ऐसी दवाइयां जो परिणाम को बदतर बना सकती हैं

  • बेंज़ोडायज़ेपींस (Benzodiazepines), जबकि तीव्र शराब वापसी प्रबंधन में उपयोगी होता है, लेकिन यदि लम्बे समय तक इसका उपयोग किया गया तो इसकी वजह से शराबीपन के एक बदतर परिणाम का सामना करना पड़ता है। चिरकालिक बेंज़ोडायज़ेपींस पर निर्भर शराबियों में बेंज़ोडायज़ेपींस नहीं लेने वाले शराबियों की अपेक्षा शराब पर संयम प्राप्त करने की दर कम होती है। शराबियों को इस तरह की दवाइयों का निर्देश आम तौर पर अनिद्रा या चिंता प्रबंधन के लिए दिया जाता है।[84] स्वास्थ्यलाभ में व्यक्तियों में बेंज़ोडायज़ेपींस या शामक-निद्राजनक दवाइयों के नुस्खे की शुरुआत करने से पुनरावृत्ति की दर अधिक होती है और साथ में एक लेखक की खबर थी कि शामक-निद्राजनक दवाइयों का नुस्खा दिए जाने के बाद एक चौथाई से अधिक लोगों में पुनरावृत्ति हुई थी। बेंज़ोडायज़ेपींस लेना जारी रखने के बावजूद अक्सर मरीजों को गलती से यही लगता है कि वे संयमी हैं। जो लोग लम्बे समय से बेंज़ोडायज़ेपींस का इस्तेमाल कर रहे होते हैं, उनसे तेज़ी से शराब नहीं छुड़वानी चाहिए क्योंकि इससे गंभीर चिंता और आतंक का विकास हो सकता है जो शराब की लत में पुनरावृत्ति के जोखिम का एक जाना-माना कारक है। टेपर के 6 से 12 महीनों के दौर के काफी सफल होने का पता चला है जिसके साथ शराब छुडवाने की तीव्रता में कमी आई थी।[85][86]

दोहरी लत

[संपादित करें]

शराबियों को अन्य मस्तिष्क पर प्रभाव डालने वाले नशीले पदार्थों की लत के लिए भी इलाज की आवश्यकता हो सकती है। शराब निर्भरता में सबसे आम दोहरी लत एक बेंज़ोडायज़ेपीन निर्भरता है जिसके सम्बन्ध में अध्ययनों से साबित हुआ है कि शराब पर निर्भर रहने वाले व्यक्तियों में से 10 से 20 प्रतिशत शराबियों को बेंज़ोडायज़ेपींस पर निर्भरता और/या उसके गलत सेवन की समस्याएं होती है। शराब खुद एक शामक-निद्राजनक द्रव है और यह अन्य शामक-निद्राजनक पदार्थों, जैसे - बार्बिटुरेट्स, बेंज़ोडायज़ेपींस और नॉनबेंज़ोडायज़ेपींस, का सहनशील-विरोधी है। अन्य शामक निद्राजनक पदार्थों, जैसे - ज़ोल्पिडेम और ज़ोपिक्लोन के साथ-साथ ओपियट्स और गैर-कानूनी दवाइयां, पर निर्भरता शराबियों में आम है। शामक निद्राजनक दवाइयों पर निर्भरता और उससे छुटकारा, जैसे - बेंज़ोडायज़ेपीन से छुटकारा, शराब की तरह ही है और चिकित्सा की दृष्टि से गंभीर हो सकता है और यदि सही तरीके से इसका इंतजाम नहीं किया गया तो इससे दौरे और मनोविकृति का भी खतरा है।[15] गंभीर बेंज़ोडायज़ेपीन वापसी सिंड्रोम और स्वास्थ्य परिणामों से बचने के लिए बेंज़ोडायज़ेपीन निर्भरता के लिए खुराक में सावधानीपूर्वक कटौती करने की आवश्यकता है। बेंज़ोडायज़ेपींस की वजह से शराब की समस्या से जूझ रहे शराब उपभोक्ताओं में शराब की लालसा में वृद्धि होने की समस्या खड़ी हो जाती है। बेंज़ोडायज़ेपींस शराब की समस्या से जूझ रहे शराबियों में शराब के सेवन की मात्रा को भी बढ़ा देता है।[87]

महामारी-विज्ञान

[संपादित करें]
वर्ष 2004 में 100,000 प्रति निवासी विकलांगता से समायोजित शराब का उपयोग करता है। [190][191][192][193][194][195][196][197][198][199][200][201][202]
टोटल रिकॉर्डेड इयरली ऐल्कोहल पर कैपिटा कंसम्पशन (15+), इन लीटर ऑफ़ प्योर ऐल्कोहल[88]

मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले विकार एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जिसका सामना कई देश कर रहे हैं। "इलाज के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले रोगियों द्वारा सेवन/निर्भरता का सबसे आम पदार्थ शराब है।"[73] यूनाइटेड किंगडम में, 2001 में "निर्भरशील शराबियों" की संख्या 28 लाख से अधिक थी।[89] विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में लगभग 1400 लाख लोग शराब निर्भरता से पीड़ित है।[18][19] संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में पुरुषों में से 10 से 20 प्रतिशत और महिलाओं में 5 से 10 प्रतिशत लोग अपनी-अपनी जिंदगी के किसी मोड़ पर शराबीपन के मानदंड को पूरा करेंगे.[90]

मेडिकल और वैज्ञानिक समुदाय के भीतर, रोग की एक स्थिति के रूप में शराबीपन के सम्बन्ध में व्यापक आम सहमति है। उदाहरण के लिए, अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन शराब को एक नशीली दवा मानता है और कहता है कि "नशीली दवा का लत अक्सर विनाशकारी परिणाम के बावजूद बाध्यकारी दवा की मांग और उपयोग की विशेषता वाला एक चिरकालिक पुनरावृत्ति वाला मस्तिष्क रोग है। यह जैविक अतिसंवेदनशीलता, परिवेशी जोखिम और विकासात्मक कारकों (जैसे, मस्तिष्क की परिपक्वता का चरण) की एक जटिल अन्योन्य क्रिया का परिणाम है।"[91]

शराबीपन का अधिक प्रचलन पुरुषों में होता है, हालांकि हाल के दशकों में महिला शराबियों के अनुपात में वृद्धि हुई है।[17] वर्तमान साक्ष्य यह सूचित करता है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों में शराबीपन का निर्धारण 50-60 प्रतिशत अनुवांशिक आधार पर होता है और 40-50 प्रतिशत परिवेशित प्रभावों के लिए रह जाता है।[92]

रोग की पूर्व-पहचान

[संपादित करें]

राष्ट्रीय शराब सेवन एवं शराबीपन संस्थान द्वारा 2002 में किए गए एक अध्ययन में शराब निर्भरता के मानदंड को पूरा करने वाले 4,422 वयस्कों के एक समूह का सर्वेक्षण किया गया जिससे पता चला कि एक वर्ष बाद कुछ ने लेखकों के कम जोखिम वाले पीने के मानदंड को पूरा किया और हालांकि उस समूह के केवल 25.5 प्रतिशत को ही कोई इलाज मिला था[93] जिसका विश्लेषण निम्नलिखित है:

  • 25 प्रतिशत अभी भी निर्भरशील हैं
  • 27.3 प्रतिशत आंशिक छूट (कुछ लक्षण बचे रह गए हैं) में हैं
  • 11.8 प्रतिशत स्पर्शोन्मुख पीने वाले (सेवन पुनरावृत्ति की सम्भावना को बढ़ाता है)
  • 35.9 प्रतिशत पूरी तरह से स्वस्थ — जिसमें से 17.7 प्रतिशत कम-जोखिम वाले शराबी और 18.2 प्रतिशत संयमी थे।

हालांकि, इसके विपरीत हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में जॉर्ज वेलांट द्वारा शराबी पुरुषों के दो समूहों के एक चिरकालिक (60 वर्ष) कार्यवाही के परिणामों का संकेत था कि "संयम में पुनरावृत्ति या विकास के बिना नियंत्रित पीने की वापसी मुश्किल से एक दशक से अधिक समय तक कायम रही."[94] वेलांट की यह भी टिप्पणी थी कि "जैसा कि अल्पकालिक अध्ययनों में सूचित है, नियंत्रित पीने की वापसी अक्सर एक भ्रम होता है।"

व्युत्पत्ति

[संपादित करें]
1904 का विज्ञापन शराब को एक बीमारी के रूप में दर्शाते हुए.

"शराबीपन" संज्ञा का सबसे पहला प्रयोग 1849 में स्वीडिश चिकित्सक मैग्नस हस ने शराब के व्यवस्थित प्रतिकूल प्रभावों का वर्णन करने के लिए किया।[95]

AA का मूल पाठ, जिसे "बिग बुक" के नाम से जाना जाता है, शराबीपन को एक बीमारी के रूप में वर्णित करता है जिसमें एक शारीरिक एलर्जी[96]:p.xxviii और एक मानसिक जूनून शामिल होता है।[96]:p.23 [97] ध्यान दें कि इस सन्दर्भ में प्रयुक्त "एलर्जी" की परिभाषा आधुनिक चिकित्सा में प्रयुक्त परिभाषा की तरह नहीं है।[98] डॉक्टर और लत विशेषज्ञ डॉ॰ विलियम डी. सिल्कवर्थ M.D. AA की तरफ से लिखते हैं कि शराबी "मानसिक नियंत्रण से परे एक (शारीरिक) लालसा" से ग्रस्त है।[99]

ई. मॉर्टन जेलिनेक द्वारा 1960 में किए गए अध्ययन को शराबीपन के आधुनिक रोग सिद्धांत की नींव माना जाता है।[100] जेलिनेक की परिभाषा ने उन लोगों के लिए "शराबीपन" शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित किया जिनमें एक विशेष प्राकृतिक इतिहास देखने को मिलता है। तब से शराबीपन की आधुनिक चिकित्सीय परिभाषा को कई बार संशोधित किया गया है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन वर्तमान में शराबीपन शब्द का प्रयोग एक विशेष चिरकालिक प्राथमिक रोग के सन्दर्भ में करता है।[91]

क्षेत्र के भीतर एक अल्पसंख्यक राय, विशेष रूप से हरबर्ट फिंगरेट और स्टैंटन पील द्वारा समर्थित, एक रोग के रूप में शराबीपन के अस्तित्व के विरूद्ध तर्क देती है। रोग मॉडल के आलोचक शराब के सेवन के नकारात्मक प्रभावों की चर्चा करते समय "अत्यधिक मद्यपान" संज्ञा का प्रयोग करते हैं।

समाज और संस्कृति

[संपादित करें]

दीर्घकालिक शराब सेवन से जुड़ी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को आम तौर पर समाज, उदहारण के तौर पर, मेहनत के समय की बर्बादी के कारण पैसा, चिकित्सा का खर्च और द्वितीयक इलाज का खर्च, के लिए हानिकारक माना जाता है। शराब का सेवन सिर पर लगने वाली चोटों, मोटर वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं, हिंसा और हमलों में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक है। पैसे के अलावा, इसमें प्रभावित शराबी के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों की दर्द और तकलीफें भी शामिल होती हैं। उदाहरण के लिए, गर्भवती महिला द्वारा शराब का सेवन भ्रूण शराब सिंड्रोम का रूप धारण कर सकता है[101] जो एक लाइलाज और हानिकारक स्थिति है।[102]

शराब के सेवन की आर्थिक लागत का अनुमान, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इकठ्ठा किया गया था, देश की GDP का एक से छः प्रतिशत तक भिन्न है।[103] एक ऑस्ट्रेलियाई अनुमान ने सभी नशीली दवाइयों के सेवन की लागत में से शराब का सामाजिक लागत 24 प्रतिशत दिखलाया; इसी तरह के एक कैनेडियन अध्ययन का निष्कर्ष था कि शराब की भागीदारी 41 प्रतिशत थी।[104]

एक अध्ययन ने शराब के सेवन के सभी रूपों के UK की लागत को 18.5 से 20 अरब पाउंड सालाना (2001 के आंकड़ों के अनुसार) के रूप में परिमाणित किया।[89][105]

रूढ़िबद्ध-धारणा

[संपादित करें]
विनो या शहरी मत्त का चित्रण

शराबियों की रूढ़िबद्ध-धारणा अक्सर कल्पना और लोकप्रिय संस्कृति में पाई जाती है। 'टाउन ड्रंक' पश्चिमी लोकप्रिय संस्कृति का एक सामान्य चरित्र है।

मादकता की रूढ़िबद्ध-धारणा नस्लवाद या विद्वेष पर आधारित हो सकता है, जिस तरह बहुत ज्यादा पीने वालों के रूप में आयरिश के चित्रण में हैं।[106][107]

सामाजिक मनोवैज्ञानिक स्टिवर्स और ग्रीले[108] के अध्ययनों में अमेरिका के आयरिश समुदाय के बीच बहुत ज्यादा शराब के सेवन के देखे गए प्रसार का प्रलेखन करने का प्रयास किया गया है।

फिल्म और साहित्य में

[संपादित करें]

आधुनिक समय में, निवृत्ति अभियान समस्याओं के और अधिक यथार्थवादी चित्रण तक ले गया है। चार्ल्स आर. जैक्सन और चार्ल्स बकोस्की जैसे लेखक अपनी रचनाओं में अपनी-अपनी शराब की लत का वर्णन करते हैं। पैट्रिक हैमिल्टन की हैंगओवर स्क्वायर (Hangover Square) की असंबद्ध कथा इसके मुख्य चरित्र के शराबीपन को दर्शाती है। शराबीपन और एक शराबी के मनोविज्ञान का एक प्रसिद्ध चित्रण मैलकॉम लौरी के बहु प्रशंसित उपन्यास अंडर द वोल्केनो में हैं, जिसमें 1939 के समय के मेक्सिको में डे ऑफ़ द डेड में ब्रिटिश सलाहकार ज्यॉफ्री फर्मिन के अंतिम दिन और अपनी पत्नी, जिसे वह प्यार करता है, के पास लौटने के बजाय बहुत ज्यादा शराब पीने की अपनी लत को चालू रखने का विवरण है।

बैड सैंटा, बारफ्लाई, डेज़ ऑफ़ वाइन एण्ड रोज़ेज़, आयरनवीड, माई नेम इज़ बिल डब्ल्यू., विथनेल एण्ड आई, आर्थर, लीविंग लास वेगास, ह्वेन ए मैन लव्स ए वूमन, शैटर्ड स्पिरिट्स और द लॉस्ट वीकेंड जैसी फिल्मों में शराबीपन की ऐसी ही कहानियां लिपिबद्ध है।

लिंग और शराबीपन

[संपादित करें]
विलियम होगार्थ का जिन लेन, 1751.

जैविक भिन्नता और शारीरिक प्रभाव

[संपादित करें]

जीव विज्ञान के अनुसार, महिलाओं के शराब सेवन के लक्षणों की रूपरेखा पुरुषों की रूपरेखा से कई महत्वपूर्ण तरीके से अलग होती है। उन्हें शराब के सेवन से शारीरिक प्रभावों की एक दूरदर्शिता का अनुभव होता है। पुरुषों और महिलाओं द्वारा सेवन किए गए शराब की बराबर खुराक आम तौर पर महिलाओं में बहुत ज्यादा रक्त शराब सांद्रता (BACs) का परिणाम देता है।[109] इसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें से मुख्य कारण यह है कि महिलाओं के शरीर में पुरुषों की तुलना में कम पानी होता है। इसलिए एक निर्धारित परिमाण में दिया गया शराब एक महिला के शरीर में बहुत ज्यादा संकेंद्रित हो जाता है। इस तथ्य के अलावा, महिलाओं को ज्यादा नशा हो सकता है, ऐसा अलग हार्मोन स्राव के कारण होता है।[17]

महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा बहुत तेजी से शराब निर्भरता की दीर्घकालिक जटिलताओं का विकास होता है। इसके अतिरिक्त, पुरुषों की तुलना में महिलाओं के शराबीपन की वजह से होने वाली मौत की दर अधिक है।[16] दीर्घकालिक जटिलताओं के उदाहरणों में मस्तिष्क, हृदय और जिगर की क्षति[17] और स्तन कैंसर (शराब और स्तन कैंसर देखें) होने का बहुत ज्यादा खतरा शामिल है। इसके अतिरिक्त, यह भी पता चला है कि अधिक समय तक बहुत ज्यादा शराब के सेवन से महिलाओं के प्रजनन क्रियाशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्रजननीय दुष्क्रिया जैसे डिंबक्षरण, कम डिम्बग्रंथि जन, अनियमित मासिक धर्म, ऋतुरोध, पीतपिण्ड चरण दुष्क्रिया और आरंभिक रजोनिवृत्ति का परिणाम देता है।[16]

मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव

[संपादित करें]

मनोरोग विकार आम तौर पर शराब विकारों से ग्रस्त लोगों में बहुत अधिक व्याप्त होता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सच है, हालांकि विकार लिंग के आधार पर भिन्न होते हैं। जिन महिलाओं में शराब-सेवन विकार होते हैं, उनमें अक्सर सह-घटित होने वाला मनोरोग की पहचान जैसे प्रमुख अवसाद, चिंता, आतंक विकार, अतिक्षुधा, पश्च-अभिघातजन्य तनाव विकार (PTSD), या सीमारेखा व्यक्तित्व विकार होता है। शराब-सेवन विकारों से ग्रस्त पुरुषों में बहुत अक्सर आत्मकामी और असामाजिक व्यक्तित्व विकार, द्विध्रुवी विकार, मनोभाजन, आवेग विकार और ध्यान की कमी/अतिक्रियाशीलता विकार सह-घटित होने वाला रोग की पहचान होती है।[109]

सामान्य जनसंख्या वाले लोगों की अपेक्षा शराबीपन के शिकार महिलाओं में भी शारीरिक या लैंगिक हमले, दुर्व्यवहार और घरेलू हिंसा के इतिहास के होने की बहुत सम्भावना होती है।[109] यह आघात PTSD, अवसाद, चिंता और शराब पर अधिक निर्भरता के उच्च दृष्टान्त तक ले जा सकता है।

इलाज की सामाजिक बाधाएं

[संपादित करें]

महिलाओं और शराब के प्रति नज़रिए और सामाजिक धारणाएं महिला शराब सेवनकारियों का पता लगाने और उनका इलाज करने बाधाएं उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसी धारणाएं पीने वाली महिलाओं को कलंकित कर देती हैं जिन्हें "आम तौर पर और लिंग की दृष्टि से दोनों तरह से अनैतिक" या "गिरी हुई महिलाओं" के रूप में निरूपित किया जाता है। कलंकीकरण का डर महिलाओं को अपने पीने की बात को छुपाने और अकेले पीने के लिए इस बात से इनकार करने पर विवश कर सकता है कि वे लोग एक चिकित्सीय स्थिति से पीड़ित हैं। इसके बदले में यह पद्धति परिवार, चिकित्सकों और अन्य लोगों को इस बात का संदेह होने की सम्भावना को कम कर देता है कि जिस महिला को वे जानते हैं, वह एक शराबी है।[16]

इसके विपरीत, पुरुषों और शराब के प्रति नज़रिए और सामाजिक धारणाएं पुरुष शराब सेवनकारियों की पहचान और इलाज के लिए कम बाधाएं उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसी धारणाएं पीने वाले पुरुषों को "आम तौर पर और लिंग की दृष्टि से दोनों तरह से नैतिक" या "उन्नत पुरुषों" के रूप में निरूपित करके उन्हें सम्मानित करती हैं। कलंक का कम डर पुरुषों को अपने पीने की आदत का खुलेआम प्रदर्शन करने और समूह में पीने के लिए इस बात को स्वीकार करने पर विवश कर देता है कि वे एक चिकित्सीय स्थिति से गुजर रहे हैं। बदले में यह पद्धति परिवार, चिकित्सकों और अन्य लोगों को यह संदेह होने की सम्भावना को बढ़ा देता है कि जिस पुरुष को वे जानते हैं, वह एक शराबी है। महिलाओं में भी इस बात को लेकर बहुत ज्यादा डर का भाव होता है कि कलंक का नकारात्मक प्रभाव उनके परिवारों पर बहुत बुरा प्रभाव डालेगा. यह उन्हें मदद मांगने से भी दूर रख सकता है।[109]

इलाज के निहितार्थ

[संपादित करें]

शोध से सामान्य समस्याग्रस्त शराब सेवन और महिलाओं के मुद्दों के सम्बन्ध दोनों परिस्थितियों में ही चिकित्सकों के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण के अभाव का संकेत मिला है।[109] शराब सेवन विकारों की जटिलता, खास तौर पर लिंग-सम्बन्धी मुद्दों को लेकर, इस बात का संकेत देता है कि चिकित्सकों के ज्ञान, अंतर्दृष्टि और सहानुभूति बहुत जरूरी है। शराबीपन के लिंग निहितार्थ से संबंधित बेहतर शिक्षा और जागरूकता पर्याप्त तरीके से शराबीपन से पीड़ित महिलाओं का इलाज करने में देखभाल प्रदातों को मदद करेगा. आरंभिक हस्तक्षेप भी स्वास्थ्यलाभ की सम्भावना को बढ़ा देगा.[109]

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. American Medical Association. "DEFINITIONS" (PDF). USA: AMA. मूल से 4 मार्च 2010 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 22 जून 2010.
  2. Tracy, Sarah J. (25 मई 2005). Alcoholism in America: from reconstruction to prohibition. Baltimore: Johns Hopkins University Press. पपृ॰ 31–52. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8018-8119-0.
  3. Glavas MM, Weinberg J (2006). "Stress, Alcohol Consumption, and the Hypothalamic-Pituitary-Adrenal Axis". प्रकाशित Yehuda S, Mostofsky DI (संपा॰). Nutrients, Stress, and Medical Disorders. Totowa, NJ: Humana Press. पपृ॰ 165–183. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-58829-432-6.
  4. Agarwal-Kozlowski, K.; Agarwal, DP. (2000). "[Genetic predisposition for alcoholism]". Ther Umsch. 57 (4): 179–84. PMID 10804873. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  5. Chen, CY.; Storr, CL.; Anthony, JC. (2009). "Early-onset drug use and risk for drug dependence problems". Addict Behav. 34 (3): 319–22. PMID 19022584. डीओआइ:10.1016/j.addbeh.2008.10.021. पी॰एम॰सी॰ 2677076. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  6. Hoffman, PL.; Tabakoff, B. (1996). "Alcohol dependence: a commentary on mechanisms". Alcohol Alcohol. 31 (4): 333–40. PMID 8879279. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  7. Caan, Woody; Belleroche, Jackie de, संपा॰ (11 अप्रैल 2002). Drink, Drugs and Dependence: From Science to Clinical Practice (1st संस्करण). Routledge. पपृ॰ 19–20. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0415278911.
  8. Schadé, Johannes Petrus (October 2006). The Complete Encyclopedia of Medicine and Health. Foreign Media Books. पपृ॰ 132–133. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-60136-001-4.
  9. Gifford, Maria (22 अक्टूबर 2009). Alcoholism (Biographies of Disease). Greenwood Press. पपृ॰ 89–91. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-313-35908-8.
  10. Diagnostic and statistical manual of mental disorders: DSM-IV. Washington, DC: American Psychiatric Association. 31 जुलाई 1994. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-89042-025-6.
  11. Kahan, M. (1996). "Identifying and managing problem drinkers". Can Fam Physician. 42: 661–71. PMID 8653034. पी॰एम॰सी॰ 2146411. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  12. Blondell, RD. (2005). "Ambulatory detoxification of patients with alcohol dependence". Am Fam Physician. 71 (3): 495–502. PMID 15712624. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  13. Morgan-Lopez, AA.; Fals-Stewart, W. (2006). "Analytic complexities associated with group therapy in substance abuse treatment research: problems, recommendations, and future directions". Exp Clin Psychopharmacol. 14 (2): 265–73. PMID 16756430. डीओआइ:10.1037/1064-1297.14.2.265. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  14. Soyka, M.; Helten, C.; Scharfenberg, CO. (2001). "[Psychotherapy of alcohol addiction--principles and new findings of therapy research]". Wien Med Wochenschr. 151 (15–17): 380–8, discussion 389. PMID 11603209.
  15. Johansson BA, Berglund M, Hanson M, Pöhlén C, Persson I (2003). "Dependence on legal psychotropic drugs among alcoholics" (PDF). Alcohol Alcohol. 38 (6): 613–8. PMID 14633651. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0735-0414. डीओआइ:10.1093/alcalc/agg123. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  16. Blume Laura N., Nielson Nancy H., Riggs Joseph A., et all (1998). "Alcoholism and alcohol abuse among women: report of the council on scientific affairs". Journal of women's health. 7 (7): 861–870. डीओआइ:10.1089/jwh.1998.7.861.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  17. Walter, H.; Gutierrez, K.; Ramskogler, K.; Hertling, I.; Dvorak, A.; Lesch, OM. (2003). "Gender-specific differences in alcoholism: implications for treatment". Arch Womens Ment Health. 6 (4): 253–8. PMID 14628177. डीओआइ:10.1007/s00737-003-0014-8. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  18. Dr Gro Harlem Brundtland (19 फ़रवरी 2001). "WHO European Ministerial Conference on Young People and Alcohol". World Health Organisation.
  19. Ms Leanne Riley (31 जनवरी 2003). "WHO to meet beverage company representatives to discuss health-related alcohol issues". World Health Organisation.
  20. Morse RM, Flavin DK (1992). "The definition of alcoholism. The Joint Committee of the National Council on Alcoholism and Drug Dependence and the American Society of Addiction Medicine to Study the Definition and Criteria for the Diagnosis of Alcoholism". JAMA : the journal of the American Medical Association. 268 (8): 1012–4. PMID 1501306. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0098-7484. डीओआइ:10.1001/jama.268.8.1012. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  21. VandenBos, Gary R. (15 जुलाई 2006). APA dictionary of psychology. Washington, DC: American Psychological Association. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-59147-380-0.
  22. American Heritage Dictionaries (12 अप्रैल 2006). The American Heritage dictionary of the English language (4 संस्करण). Boston: Houghton Mifflin. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-618-70172-8. To use wrongly or improperly; misuse: abuse alcohol
  23. "Dietary Guidelines for Americans 2005". USA: health.gov. 2005. मूल से 1 जुलाई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010. आहार सम्बन्धी दिशानिर्देश
  24. McCully, Chris (2004). Goodbye Mr. Wonderful. Alcohol, Addition and Early Recovery. London: Jessica Kingsley Publishers. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-84310-265-6. |author= और |last1= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  25. Dunn, N; Cook (1999). "Psychiatric aspects of alcohol misuse". Hospital medicine (London, England : 1998). 60 (3): 169–72. PMID 10476237. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1462-3935. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); |author2= और |last2= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  26. Wilson, Richard; Kolander, Cheryl A. (2003). Drug abuse prevention: a school and community partnership. Sudbury, Mass.: Jones and Bartlett. पपृ॰ 40–45. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7637-1461-1.
  27. Miller, NS; Mahler; Gold (1991). "Suicide risk associated with drug and alcohol dependence". Journal of addictive diseases. 10 (3): 49–61. PMID 1932152. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1055-0887. डीओआइ:10.1300/J069v10n03_06. |author2= और |last2= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद); |author3= और |last3= के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)
  28. Professor Georgy Bakalkin (8 जुलाई 2008). "Alcoholism-associated molecular adaptations in brain neurocognitive circuits". eurekalert.org. अभिगमन तिथि 14 फ़रवरी 2009.
  29. Müller D, Koch RD, von Specht H, Völker W, Münch EM (1985). "[Neurophysiologic findings in chronic alcohol abuse]". Psychiatr Neurol Med Psychol (Leipz) (जर्मन में). 37 (3): 129–32. PMID 2988001. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  30. Testino G (2008). "Alcoholic diseases in hepato-gastroenterology: a point of view". Hepatogastroenterology. 55 (82–83): 371–7. PMID 18613369.
  31. Zuskin, E.; Jukić, V.; Lipozencić, J.; Matosić, A.; Mustajbegović, J.; Turcić, N.; Poplasen-Orlovac, D.; Bubas, M.; Prohić, A. (2006). "[Alcoholism--how it affects health and working capacity]". Arh Hig Rada Toksikol. 57 (4): 413–26. PMID 17265681. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  32. Oscar-Berman, Marlene (2003). "Alcoholism and the brain: an overview". Alcohol Res Health. 27 (2): 125–33. PMID 15303622. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  33. Wetterling T; Junghanns, K (2000). "Psychopathology of alcoholics during withdrawal and early abstinence". Eur Psychiatry. 15 (8): 483–8. PMID 11175926. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0924-9338. डीओआइ:10.1016/S0924-9338(00)00519-8. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  34. Schuckit MA (1983). "Alcoholism and other psychiatric disorders". Hosp Community Psychiatry. 34 (11): 1022–7. PMID 6642446. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0022-1597. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  35. Cowley DS (January 24, 1992). "Alcohol abuse, substance abuse, and panic disorder". Am J Med. 92 (1A): 41S–48S. PMID 1346485. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0002-9343. डीओआइ:10.1016/0002-9343(92)90136-Y.
  36. Cosci F; Schruers, KR; Abrams, K; Griez, EJ (2007). "Alcohol use disorders and panic disorder: a review of the evidence of a direct relationship". J Clin Psychiatry. 68 (6): 874–80. PMID 17592911. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0160-6689. डीओआइ:10.4088/JCP.v68n0608. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  37. Grant BF, Harford TC (1995). "Comorbidity between DSM-IV alcohol use disorders and major depression: results of a national survey". Drug Alcohol Depend. 39 (3): 197–206. PMID 8556968. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0376-8716. डीओआइ:10.1016/0376-8716(95)01160-4. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  38. Kandel DB, Huang FY, Davies M (2001). "Comorbidity between patterns of substance use dependence and psychiatric syndromes". Drug Alcohol Depend. 64 (2): 233–41. PMID 11543993. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0376-8716. डीओआइ:10.1016/S0376-8716(01)00126-0. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  39. Cornelius JR, Bukstein O, Salloum I, Clark D (2003). "Alcohol and psychiatric comorbidity". Recent Dev Alcohol. 16: 361–74. PMID 12638646. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0738-422X. डीओआइ:10.1007/0-306-47939-7_24.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  40. Schuckit M (1983). "Alcoholic patients with secondary depression". Am J Psychiatry. 140 (6): 711–4. PMID 6846629. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0002-953X. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  41. Schuckit MA, Tipp JE, Bergman M, Reich W, Hesselbrock VM, Smith TL (1997). "Comparison of induced and independent major depressive disorders in 2,945 alcoholics". Am J Psychiatry. 154 (7): 948–57. PMID 9210745. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0002-953X. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  42. Schuckit MA, Tipp JE, Bucholz KK (1997). "The life-time rates of three major mood disorders and four major anxiety disorders in alcoholics and controls". Addiction. 92 (10): 1289–304. PMID 9489046. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0965-2140. डीओआइ:10.1111/j.1360-0443.1997.tb02848.x. मूल से 10 नवंबर 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  43. Schuckit MA, Smith TL, Danko GP (2007). "A comparison of factors associated with substance-induced versus independent depressions". J Stud Alcohol Drugs. 68 (6): 805–12. PMID 17960298. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1937-1888. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  44. O'Connor, Rory; Sheehy, Noel (29 Jan 2000). Understanding suicidal behaviour. Leicester: BPS Books. पपृ॰ 33–37. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-85433-290-5.
  45. Isralowitz, Richard (2004). Drug use: a reference handbook. Santa Barbara, Calif.: ABC-CLIO. पपृ॰ 122–123. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-57607-708-5.
  46. Langdana, Farrokh K. (27 मार्च 2009). Macroeconomic Policy: Demystifying Monetary and Fiscal Policy (2nd संस्करण). स्प्रिंगर. पृ॰ 81. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-387-77665-1.
  47. Galanter, Marc; Kleber, Herbert D. (1 जुलाई 2008). The American Psychiatric Publishing Textbook of Substance Abuse Treatment (4th संस्करण). United States of America: American Psychiatric Publishing Inc. पृ॰ 58. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1585622764.
  48. Dart, Richard C. (1 दिसम्बर 2003). Medical Toxicology (3rd संस्करण). USA: Lippincott Williams & Wilkins. पपृ॰ 139–140. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0781728454.
  49. Idemudia SO, Bhadra S, Lal H (1989). "The pentylenetetrazol-like interoceptive stimulus produced by ethanol withdrawal is potentiated by bicuculline and picrotoxinin". Neuropsychopharmacology. 2 (2): 115–22. PMID 2742726. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0893-133X. डीओआइ:10.1016/0893-133X(89)90014-6. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  50. Martinotti G; Nicola, MD; Reina, D; Andreoli, S; Focà, F; Cunniff, A; Tonioni, F; Bria, P; Janiri, L (2008). "Alcohol protracted withdrawal syndrome: the role of anhedonia". Subst Use Misuse. 43 (3–4): 271–84. PMID 18365930. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1082-6084. डीओआइ:10.1080/10826080701202429.
  51. Stojek A; Madejski, J; Dedelis, E; Janicki, K (1990). "[Correction of the symptoms of late substance withdrawal syndrome by intra-conjunctival administration of 5% homatropine solution (preliminary report)]". Psychiatr Pol. 24 (3): 195–201. PMID 2084727. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0033-2674. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  52. Le Bon O; Murphy, JR; Staner, L; Hoffmann, G; Kormoss, N; Kentos, M; Dupont, P; Lion, K; Pelc, I (2003). "Double-blind, placebo-controlled study of the efficacy of trazodone in alcohol post-withdrawal syndrome: polysomnographic and clinical evaluations". J Clin Psychopharmacol. 23 (4): 377–83. PMID 12920414. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0271-0749. डीओआइ:10.1097/01.jcp.0000085411.08426.d3. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  53. Chastain, G (अक्टूबर 2006). "Alcohol, neurotransmitter systems, and behavior". The Journal of general psychology. 133 (4): 329–35. PMID 17128954. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0022-1309. डीओआइ:10.3200/GENP.133.4.329-335.
  54. "Early Age At First Drink May Modify Tween/Teen Risk For Alcohol Dependence". Medical News Today. 21 सितंबर 2009. मूल से 13 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010.
  55. Bierut, LJ.; Schuckit, MA.; Hesselbrock, V.; Reich, T. (2000). "Co-occurring risk factors for alcohol dependence and habitual smoking". Alcohol Res Health. 24 (4): 233–41. PMID 15986718.
  56. Agrawal, Arpana; Sartor, Carolyn E.; Lynskey, Michael T.; Grant, Julia D.; Pergadia, Michele L.; Grucza, Richard; Bucholz, Kathleen K.; Nelson, Elliot C.; Madden, Pamela A. F. (2009). "Evidence for an Interaction Between Age at First Drink and Genetic Influences on DSM-IV Alcohol Dependence Symptoms". Alcoholism: Clinical and Experimental Research. 33: 2047. डीओआइ:10.1111/j.1530-0277.2009.01044.x.
  57. Enoch, MA. (2006). "Genetic and environmental influences on the development of alcoholism: resilience vs. risk". Ann N Y Acad Sci. 1094: 193–201. PMID 17347351. डीओआइ:10.1196/annals.1376.019. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  58. Ewing JA (1984). "Detecting alcoholism. The CAGE questionnaire". JAMA : the journal of the American Medical Association. 252 (14): 1905–7. PMID 6471323. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0098-7484. डीओआइ:10.1001/jama.252.14.1905. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  59. CAGE Questionnaire Archived 2007-06-28 at the वेबैक मशीन (PDF)
  60. Dhalla, S.; Kopec, JA. (2007). "The CAGE questionnaire for alcohol misuse: a review of reliability and validity studies". Clin Invest Med. 30 (1): 33–41. PMID 17716538.
  61. "ऐल्कोहल डिपेंडेन्स डाटा क्वेस्चनेयर (SADD)". मूल से 2 मार्च 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 दिसंबर 2020.
  62. "मिशिगन शराब जांच परीक्षण (MAST)". मूल से 6 सितंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010.
  63. "AUDIT: शराब सेवन विकार पहचान परीक्षण: प्राथमिक देखभाल के दौरान सेवन के दिशानिर्देश" (PDF). मूल (PDF) से 2 मई 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010.
  64. Smith, SG; Touquet, R; Wright, S; Das Gupta, N (1996). "Detection of alcohol misusing patients in accident and emergency departments: the Paddington alcohol test (PAT)". Journal of Accident and Emergency Medicine. British Association for Accident and Emergency Medicine. 13 (5): 308–312. PMID 8894853. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1351-0622. डीओआइ:10.1093/alcalc/agh049. पी॰एम॰सी॰ 1342761. अभिगमन तिथि 19 नवंबर 2006. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  65. नर्न्बर्जर, जूनियर, जॉन आई. और बिएरट, लौरा जीन. "कनेक्शन की मांग: शराब और हमारे जीन." साइंटिफिक अमेरिकन, अप्रैल 2007, खंड 296, अंक 4.
  66. न्यूयॉर्क डेली न्यूज़ (विलियम शेरमैन) परीक्षण लक्ष्य लत जीन Archived 2020-04-06 at the वेबैक मशीन 11 फ़रवरी 2006
  67. Berggren U, Fahlke C, Aronsson E (2006). "The taqI DRD2 A1 allele is associated with alcohol-dependence although its effect size is small" (Free full text). Alcohol and alcoholism (Oxford, Oxfordshire). 41 (5): 479–85. PMID 16751215. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0735-0414. डीओआइ:10.1093/alcalc/agl043. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  68. Jones, AW. (2006). "Urine as a biological specimen for forensic analysis of alcohol and variability in the urine-to-blood relationship". Toxicol Rev. 25 (1): 15–35. PMID 16856767. डीओआइ:10.2165/00139709-200625010-00002.
  69. Das, SK.; Dhanya, L.; Vasudevan, DM. (2008). "Biomarkers of alcoholism: an updated review". Scand J Clin Lab Invest. 68 (2): 81–92. PMID 17852805. डीओआइ:10.1080/00365510701532662.
  70. World Health Organisation (2010). "Alcohol".
  71. "Alcohol policy in the WHO European Region: current status and the way forward" (PDF). World Health Organisation. 12 सितंबर 2005. मूल (PDF) से 23 जनवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010.
  72. Crews, F.; He, J.; Hodge, C. (2007). "Adolescent cortical development: a critical period of vulnerability for addiction". Pharmacol Biochem Behav. 86 (2): 189–99. PMID 17222895. डीओआइ:10.1016/j.pbb.2006.12.001. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  73. गैबर्ड: "मनोरोग विकार का उपचार". अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित: तृतीय संस्करण, 2001, ISBN 0-88048-910-3
  74. Dawson, Deborah A.; Grant, Bridget F.; Stinson, Frederick S.; Chou, Patricia S.; Huang, Boji; Ruan, W. June (2005). "Recovery from DSM-IV alcohol dependence: United States, 2001-2002". Addiction. 100 (3): 281. PMID 15733237. डीओआइ:10.1111/j.1360-0443.2004.00964.x. मूल से 19 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010.
  75. Dawson, Deborah A.; Goldstein, Risë B.; Grant, Bridget F. (2007). "Rates and correlates of relapse among individuals in remission from DSM-IV alcohol dependence: a 3-year follow-up". Alcoholism: Clinical and Experimental Research. 31: 2036. डीओआइ:10.1111/j.1530-0277.2007.00536.x.
  76. Vaillant, GE (2003). "A 60-year follow-up of alcoholic men". Addiction (Abingdon, England). 98 (8): 1043–51. PMID 12873238.
  77. Krampe H, Stawicki S, Wagner T (2006). "Follow-up of 180 alcoholic patients for up to 7 years after outpatient treatment: impact of alcohol deterrents on outcome". Alcoholism, clinical and experimental research. 30 (1): 86–95. PMID 16433735. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0145-6008. डीओआइ:10.1111/j.1530-0277.2006.00013.x. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  78. Ogborne, AC. (2000). "Identifying and treating patients with alcohol-related problems". CMAJ. 162 (12): 1705–8. PMID 10870503. पी॰एम॰सी॰ 1232509. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  79. Soyka, M.; Rösner, S. (2008). "Opioid antagonists for pharmacological treatment of alcohol dependence - a critical review". Curr Drug Abuse Rev. 1 (3): 280–91. PMID 19630726. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  80. Mason, BJ.; Heyser, CJ. (2010). "The neurobiology, clinical efficacy and safety of acamprosate in the treatment of alcohol dependence". Expert Opin Drug Saf. 9 (1): 177–88. PMID 20021295. डीओआइ:10.1517/14740330903512943. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  81. "FDA Approves New Drug for Treatment of Alcoholism". मूल से 17 जनवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 अप्रैल 2006.
  82. Olmsted CL, Kockler DR (2008). "Topiramate for alcohol dependence". Ann Pharmacother. 42 (10): 1475–80. PMID 18698008. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1060-0280. डीओआइ:10.1345/aph.1L157. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  83. Kenna, GA.; Lomastro, TL.; Schiesl, A.; Leggio, L.; Swift, RM. (2009). "Review of topiramate: an antiepileptic for the treatment of alcohol dependence". Curr Drug Abuse Rev. 2 (2): 135–42. PMID 19630744. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  84. Lindsay, S.J.E.; Powell, Graham E., संपा॰ (28 जुलाई 1998). The Handbook of Clinical Adult Psychology (2nd संस्करण). Routledge. पृ॰ 402. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0415072151.
  85. Gitlow, Stuart (1 अक्टूबर 2006). Substance Use Disorders: A Practical Guide (2nd संस्करण). USA: Lippincott Williams and Wilkins. पपृ॰ 52 and 103–121. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0781769983.
  86. Kushner MG, Abrams K, Borchardt C (2000). "The relationship between anxiety disorders and alcohol use disorders: a review of major perspectives and findings". Clin Psychol Rev. 20 (2): 149–71. PMID 10721495. डीओआइ:10.1016/S0272-7358(99)00027-6. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  87. Poulos CX, Zack M (2004). "Low-dose diazepam primes motivation for alcohol and alcohol-related semantic networks in problem drinkers". Behav Pharmacol. 15 (7): 503–12. PMID 15472572. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0955-8810. डीओआइ:10.1097/00008877-200411000-00006. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  88. ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन ऐल्कोहल 2004
  89. कैबिनेट ऑफिस स्ट्रेटजी यूनिट शराब दुरूपयोग: इसकी लागत कितनी है? Archived 2006-11-02 at the वेबैक मशीन सितम्बर 2003
  90. "शराबीपन". इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका.
  91. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल से 17 जनवरी 2010 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 17 जनवरी 2010.
  92. Dick DM, Bierut LJ (2006). "The genetics of alcohol dependence". Current psychiatry reports. 8 (2): 151–7. PMID 16539893. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1523-3812. डीओआइ:10.1007/s11920-006-0015-1. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  93. राष्ट्रीय शराब सेवन एवं शराबीपन संस्थान 2001-2002 सर्वेक्षण से पता चलता है कि बहुत से लोग शराबीपन से मुक्त हो चुके हैं Archived 2006-08-18 at the वेबैक मशीन प्रेस रिलीज़ 18 जनवरी 2005.
  94. Vaillant GE (2003). "A 60-year follow-up of alcoholic men". Addiction. 98 (8): 1043–51. PMID 12873238. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0965-2140. डीओआइ:10.1046/j.1360-0443.2003.00422.x. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  95. Alcoholismus chronicus, eller Chronisk alkoholssjukdom:. Stockholm und Leipzig. अभिगमन तिथि 19 फरवरी 2008.
  96. Anonymous (1939, 2001). [www.aa.org Alcoholics Anonymous: the story of how many thousands of men and women have recovered from alcoholism] जाँचें |url= मान (मदद). New York City: Alcoholics Anonymous World Services. xxxii, 575 p. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1893007162. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  97. "The Big Book Self Test:". intoaction.us. http://www.intoaction.us/SelfTest.html. अभिगमन तिथि: 19 फरवरी 2008. 
  98. Kay AB (2000). "Overview of 'allergy and allergic diseases: with a view to the future'". Br. Med. Bull. 56 (4): 843–64. PMID 11359624. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0007-1420. डीओआइ:10.1258/0007142001903481.
  99. "बेनाम शराबी" p XXVI
  100. "OCTOBER 22 DEATHS". todayinsci.com. http://www.todayinsci.com/10/10_22.htm. अभिगमन तिथि: 18 फरवरी 2008. 
  101. CDC. (2004). फेटल ऐल्कोहल सिंड्रोम: गाइडलाइंस फॉर रेफेरल एंड डाइग्नोसिस http://www.cdc.gov/fas/faspub.htm पर डाउनलोड किया जा सकता है
  102. स्ट्रेईसगुथ, ए. (1997). फेटल ऐल्कोहल सिंड्रोम: अ गाइड फॉर फैमिलीज़ एंड कम्युनिटीज़ . बाल्टीमोर: ब्रूक्स प्रकाशन. ISBN 1-55766-283-5.
  103. "Global Status Report on Alcohol 2004" (PDF). World Health Organization. अभिगमन तिथि 3 जनवरी 2007.
  104. "Economic cost of alcohol consumption". World Health Organization Global Alcohol Database. अभिगमन तिथि 3 जनवरी 2007.
  105. "Q&A: The costs of alcohol". BBC. 19 सितंबर 2003.
  106. "World/Global Alcohol/Drink Consumption 2007".
  107. "The World's Drunks: The Irish".
  108. Stivers, Richard (2000). Hair of the dog: Irish drinking and its American stereotype. London: Continuum. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-8264-1218-1.
  109. Karrol Brad R. (2002). "Women and alcohol use disorders: a review of important knowledge and its implications for social work practitioners". Journal of social work. 2 (3): 337–356. डीओआइ:10.1177/146801730200200305.

आगे पढ़ें

[संपादित करें]
  • पेंस, ग्रेगरी, "कांट ऑन ह्वेदर ऐल्कोहलिज्म इज ए डिजीज," अध्याय 2, द एलीमेंट्स ऑफ़ बायोएथिक्स, मैकग्रॉ-हिल बुक्स, 2007 ISBN 0-07-313277-2.
  • Sutton, Philip M. (2007). "Alcoholism and Drug Abuse". प्रकाशित Michael L. Coulter, Stephen M. Krason, Richard S. Myers, and Joseph A. Varacalli (संपा॰). Encyclopedia of Catholic Social Thought, Social Science, and Social Policy. Lanham, MD; Toronto, Canada; Plymouth, UK: Scarecrow Press. पपृ॰ 22–24. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780810859067.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: editors list (link)
  • वॉरेन थॉम्पसन, MD, FACP. "शराबीपन." Emedicine.com, 6 जून 2007. 02-09-2007 को पुनःप्राप्त.

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]

साँचा:Addiction साँचा:Alcohealth