हारून अल रशीद
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हारुन अल रशीद ﻫَﺎﺭُﻭﻥ ﺍﻟﺮَﺷِﻴﺪ Harun Al Rasheed | |
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अब्बासी ख़िलाफ़त का पाँच वाँ ख़लीफ़ा | |
शासनावधि | 14 सित्मबर 786 - 24 मार्च 809 ईस्वी |
पूर्ववर्ती | अल महदी |
उत्तरवर्ती | अल अमीन |
जन्म | 17 मार्च 763 ईस्वी तेहरान ईरान |
निधन | 24 मार्च 809 ईस्वी (आयु 46 वर्ष) ख़ोरासान, ईरान) |
घराना | अब्बासी खिलाफत |
पिता | अल महदी |
माता | अल खजरुल |
हारुन अल रशीद; (अरबी:,ﻫَﺎﺭُﻭﻥ ﺍﻟﺮَﺷِﻴﺪ अंग्रेज़ी: ‘Harun Al Rasheed Marwān) 17 मार्च 763 या फरवरी 766 -24 मार्च 809 (148-193 हिजरी) पांचवें अब्बासी खलीफा थे। इनकी जन्म तिथि पर विद्वानों का अलग अलग मत है, विभिन्न स्रोत 763 से 766 की तारीख देते हैं इस्लामिक स्वर्ण युग के शिखर के दौरान अल-रशीद ने 786 से 809 तक शासन किया।[1] इनके शासन काल में वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि के रूप में चिह्नित किया जाता है। अल हारून शासनकाल के दौरान इस्लामी कला और संगीत में भी संसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उन्होंने महान पुस्तकालय बेल्ट अल- वर्तमान में इराक में बगदाद में बैत अल-हिक्मा ("हाउस ऑफ़ विज्डम") निर्माण कराया और इसी कारण बगदाद ज्ञान, संस्कृति और व्यापार के केंद्र के रूप में पनपने लगा।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 जनवरी 2018.