जयपुर राज्य
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जयपुर रजवाड़ा | ||||||
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भारत के इम्पीरियल गैज़ेटियर का जयपुर राज्य
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राजधानी | जयपुर | |||||
भाषाएँ | हिन्दुस्तानी भाषा (हिन्दी-उर्दु) तथा संस्कृत बहुल की ढूंढारी-राजस्थानी बोली | |||||
शासन | ब्रिटिश राज का रजवाड़ा (१८१८-१९४७) राजतंत्र (११२८-१८१८) | |||||
महाराजा सवाई | ||||||
- | ११२८ - ११३३ | दूल्हेराय | ||||
- | १९२२ - १९४८ | मान सिंह द्वितीय (अन्तिम) | ||||
इतिहास | ||||||
- | स्थापित | ११२८ | ||||
- | भारत में विलय | १९४७ | ||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | 1931 | 40,407 किमी ² (15,601 वर्ग मील) | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | 1931 est. | 26,31,775 | ||||
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65.1 /किमी ² (168.7 /वर्ग मील) | |||||
मुद्रा | भारतीय रुपया | |||||
आज इन देशों का हिस्सा है: | राजस्थान, भारत | |||||
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जयपुर रजवाड़ा (अन्य नाम: जयपुर स्टेट) ११२८ से १९४७ अवधि का भारत का एक रजवाड़ा था। इसका केन्द्र जयपुर नगर था। यह बारहवीं शताब्दी से अस्तित्त्व में आया एवं १९४७ तक रहा। १९४७ में भारतीय स्वाधीनता उपरान्त भारतीय संघ में विलय हो गया। इतिहास के भिन्न कालों में इसे भिन्न भिन्न नामों से जाना गया जैसे: जयपुर राज्य, आम्बेर राज्य, ढूंढाड़ राज्य एवं कछवाहा राज्य, आदि।
जयपुर के मुगल जागीरदार
[संपादित करें]- जगत सिंह
- भारमल
- भगवंत दास
- जय सिंह प्रथम
- जय सिंह द्वितीय
- जय सिंह तृतीय
- ब्रजनिधि
- माधो सिंह प्रथम
- माधो सिंह द्वितीय
- मान सिंह प्रथम
- मान सिंह द्वितीय
- राम सिंह प्रथम
- रामसिंह द्वितीय
- बिशन सिंह
- कुमार पद्मनाभ सिंह
- राम सिंह द्वितीय
सन्दर्भ
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- सिंह, चन्द्रमणि (२००८). जयपुर राज्य का इतिहास (प्रथम संस्करण). जोधपुर : राजस्थानी ग्रन्थागार. पपृ॰ १७६. ISBN 9788190042505 [8190042505]. मूल से 4 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 फ़रवरी 2018.