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हिरनगाँव

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हिरनगाँव
Hirangaon
हिरनगाँव is located in उत्तर प्रदेश
हिरनगाँव
हिरनगाँव
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 27°10′41″N 78°19′48″E / 27.178°N 78.330°E / 27.178; 78.330निर्देशांक: 27°10′41″N 78°19′48″E / 27.178°N 78.330°E / 27.178; 78.330
ज़िलाफ़िरोज़ाबाद ज़िला
राज्यउत्तर प्रदेश
देश भारत
जनसंख्या (2011)
 • कुल695
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड283103

हिरनगाँव (Hirangaon) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में स्थित एक गाँव है।[1][2]

हिरनगाँव एक छोटा-सा गाँव है। किन्तु यह गाँव ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह जरौली खुर्द ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आता है ग्राम हिरनगाँव की कुलदेवी का नाम माता बेलोन (नरोरा) है घनी वसाबट वाली वस्ती से दूर बसे होने तथा खुले एवम् शांतिपूर्ण स्वछ हरियाली युक्त वातावरण व् ट्रैफिक की समस्या से दूर होने के कारण ब्राह्मणों का गाँव कहे जाने वाले इस गाँव में पूर्व में कायस्थ भी रहा करते थे परंतु वर्तमान में कोई भी कायस्थ नहीं रहते अनेक समुदाय के लोग निवास करते है इनमे ब्राहम्ण, जाटव, नाई, कोरी, काछी, वाल्मीकि है ब्राह्म्णों में तिवारी, स्रोतीय, रावत, मुदगल, पाठक, जोशी, तेनुगुरिया, दीक्षित गौत्र के व्यक्ति है

हिरनगाँव चार मौहल्लो में विभाजित है जिसमे "तिवारी मौहल्ला, स्रोतीय मौहल्ला, दीक्षित मौहल्ला, एवम जाटव मोहल्ला "सभी समुदाय के व्यक्ति मिलजुल कर घनिस्ट प्रेमता के साथ रहते है। फ़िरोज़ाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर पूर्वी दिशा में स्थित है। यहाँ पर अधिकांश व्यक्ति सरकारी सेवा में कार्यरत थे परंतु वर्तमान में अधिकांश व्यक्ति कारख़ानों/फैक्ट्रीयो पर निर्भर है। वर्तमान में जो व्यक्ति सरकारी सेवा में कार्यरत है वो गाँव से बाहर शहर में निवास कर रहे हैं। हिरनगाँव का पिन कोड 283103 है यहाँ पत्रो के आने जाने हेतु भारत सरकार द्वारा स्थापित हिरनगाँव डाकखाना भी है एवम् प्रधान डाकखाना फ़िरोज़ाबाद में स्थित है। जो कि लगभग 8 किलो मीटर दूरी पर है।

आगरा गजेटियर सन 1905 के अनुसार- फिरोजाबाद मैं दो दिन बाजार लगता था रविवार एवं बृहस्पतिवार को जिन जिन ग्राम वासियों को कोई भी शहर से सामान खरीदना होता था तब वह इन निर्धारित दिनों में ग्राम के कई लोग मिलजुल कर पैदल अपने ग्राम से शहर जाते थे और अपने लिए आवश्यकता के सामान खरीद कर लेकर आते थे हिरनगाँव ग्राम के ग्रामवासी मेला देखने के लिए अपने निकटतम, ग्राम अलीनगर केंजरा, उलाऊ, जरौली कलां में मेला देखने जाते थे उस समय ग्राम उलाऊ के मेले में लगभग 250 व्यक्तियों की भीड़ आती थी व ग्राम अलीनगर केंजरा में लगभग 300 व्यक्तियों की मेले में भीड़ लगती थी एवं जरौली कलां ग्राम के मेले में लगभग 400 व्यक्तियों की भीड़ लगती थी।

हिरनगाँव के चारों तरफ देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं जो कि इस गांव की विपत्तियों से रक्षा करते हैं इस गांव में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति कादा संस्कार उसको बैठा कर किया जाता है योग क्रिया की तरह जबकि अन्य गांव में इस तरह की प्रथा नहीं है अन्य गांव में किसी भी मृत व्यक्ति का दाह संस्कार लिटाकर किया जाता है इस प्रथा को इस गांव हिरनगाँव के व्यक्ति पूर्वज ऋषि मुनि की योगसाधना से जोड़ते हैं क्योंकि प्राचीन काल में ऋषि मुनि अपनी योग साधना ऋषि मुद्रा में लीन होकर करते थे हिरनगांव ग्राम वासियों के कुल के पंडा पंडित राजेश कुमार सम्राट पुत्र स्व0 गिरिराज धरण सम्राट निवासी मोहल्ला अंदर दहलान सोरों जिला कासगंज उत्तर प्रदेश है।

हिरनगाँव के उत्तर मे नारखी तहसील, दक्षिण में फ़तेहाबाद, पश्चिम में टूण्डला तहसील और पूर्व में शिकोहाबाद तहसील है। हिरनगाँव के पूर्व में ग्राम जरौलीखुर्द पश्चिम में ग्राम अकबरपुर उत्तर में ग्राम अलीनगर केंजरा दक्षिण में ग्राम है आगरा मंडल 42 किलो मीटर दूरी पर है जिसमे कई मुगलकालीन ऐतहासिक इमारते सुशोभित है।

हिरनगाँव का इतिहास प्राचीन बताया जाता है। यह प्राचीन समय में हिरनगऊ के नाम से जाना जाता था क्योंकि इस गाँव में अधिकांश संख्या में हिरन और गऊ रहा करती थी। वर्तमान में हिरन तो नहीं रहे लेकिन गाय कुछ संख्या में देखी जा सकती है। प्राचीन समय में गाय का बहुत महत्व था कहा जाता है कि हमारी पृथ्वी गाय के सींग पर टिकी हुई है।

हिरनगऊ (हिरनगाँव) से 12 किलोमीटर दूरी पर फ्रेंच, आर्मी चीफ डी. वायन ने सन नवंबर 1794 में फिरोजाबाद में आयुध फैक्ट्री की स्थापना की। श्री थॉमस ट्रविंग ने भी अपनी पुस्तक 'ट्रैवेल्ज़ इन इंडिया' में इस आयुध फैक्ट्री का उल्लेख किया है।

दौलतराव सिंधिया द्वारा जनरल वेलजली के साथ दिनांक 30 सितंबर 1803 को अंग्रेजों से (सुरजन अंजन गांव की संधि) की गई इस संधि के बाद फिरोजाबाद पर अंग्रेजों का अधिकार स्थापित हो गया और अंग्रेजी सरकार की हुकूमत फिरोजाबाद नगर पर चलने लगी।

लेखक क्षेमचंद सुमन द्वारा अपनी हस्त्तलिखित पुस्तक "दिवंगत हिंदी सेवी भाग 2" में सन 1822 में ग्राम हिरनगौ मैं एक अन्य परिवार के बसने का उल्लेख किया है। इससे प्रतीत होता है कि यह ग्राम ततसमय अस्तित्व में था।

1800 सदी में जन्मे इस गाँव के निवासी क्रांतिकारी क्रांतिकारी पंडित तेजसिंह तिवारी जिन्होंने सन 1857 की क्रांति की जंग में भाग लिया था। इनके पुत्र पंडित खुशालीराम तिवारी, जिनकी ख्याति बहुत दूर दूर तक फैली हुई थी, उन्होंने हिरनगाँव प्राथमिक विद्ययालय की ज़मीन दान में दे दी।

सन् 1876 में इस गाँव में तोताराम सनाढ्य का जन्म हुआ था जिनके अथक प्रयासों से गिरमिटिया/बंधुआ मजदूरी प्रथा को समाप्त किया जा सका एवम् उनके द्वारा फिजी देश में मेरे 21 वर्ष पुस्तक इसी प्रयोजन से लिखी गई थी। इस पुस्तक को भारती भवन द्वारा प्रकाशित कराकर भवन की ख्याति को बढ़ाया।

तोताराम सनाढय की मृत्यु पर महात्मा गांधी ने लिखा " वयोवृद्ध तोताराम जी किसी से भी सेवा लिए वगैर ही गये वे सावरमति आश्रम के भूसण थे विद्वlन तो नहीं पर ज्ञानी थे भजनों के भण्डार थे फिर भी गायनाचार्य थे अपने एक तारे और भजनों से आश्रमवासियो को मुग्ध कर देते थे "परोपकाराय सत्ता विभूतय "तोताराम जी में ये अक्षरश सत्य रहा"।

10 अगस्त 1928 को कलकत्ता मे जन्मे पंडित राजेश दीक्षित (लेखक) के पूर्वज हिरनगांव के निवासी थे । इनके द्वारा कई पुस्तक लिखी गई है

दर्शनीय स्थल

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    1. प्राचीन बरगद वृक्ष - हिरनगऊ ग्राम में स्थित बरगद वृक्ष प्रभागीय निदेशक समाजिक वानिकी प्रभाग फिरोजाबाद द्वारा लगभग 250 वर्ष पुराना बताया है, बरगद वृक्ष की गोलाई 4.5 मीटर है।
    2. पंण्डित तेज सिंह तिवारी - 1800 शताब्दी के क्रांतिकारी पंण्डित तेज सिंह तिवारी की जन्म स्थली ग्राम हिरनगऊ में है, जिन्होंने 1857 की क्रांति मैं भाग लिया था।
    3. बाबा नीम करौली जन्म स्थल धाम फिरोजाबाद - हिरनगऊ से 1 किलोमीटर दूरी पर बाबा नीम करौली जन्म स्थल ग्राम अकबरपुर में है नीम करौली बाबा की गणना 20 वीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है इनका आश्रम देव भूमि कैची धाम उत्तराखण्ड में है।
    4. राजा का ताल फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर राजा का ताल बना हुआ है, फिरोजाबाद गजेटियर द्वारा राजा के ताल का निर्माण सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक मंत्री राजा टोडरमल  द्वारा कराया गया था, आगरा मार्ग के किनारे लाल पत्थर से बना राजा का ताल राजा टोडरमल का स्मर्ण करता है, इस ताल के मध्य में पत्थर का बना एक मंदिर है जहां एक बांध पुल द्वारा पहुंचा जा सकता था परन्तु वर्तमान में यह ताल नाम मात्र का रह गया है एवं कहीं कहीं लाल ककरी की दिवार नाम मात्र के रूप में नजर आती है।
    5. वैष्णो देवी मंदिर- राजस्व ग्राम-हिरनगाँव से लगभग 4 किलो मीटर दूर पर मंदिर बना हुआ है यहाँ कोई भी सच्चे मन से मांगी गई मन्नत पूरी होती है यहाँ प्रतिवर्ष नवदुर्गो में मेला लगता है और हजारो की संख्या में बड़ी दूर दूर से श्रदालु माता के दर्शन के लिए आते है और अपनी मन्नते पूर्ण करने के लिए मांगते है एव लेजा भी काफी संख्या में यहाँ चढ़ाये जाते है।
    6. महावीर दिगम्बर जैन मंदिर- राजस्व ग्राम-हिरनगाँव से लगभग 8 किलो मीटर दूर जैन मंदिर की स्थापना स्वर्गीय सेठ छि दामी लाल जैन द्वारा की गई थी मंदिर के हॉल में भगवान महावीर जी की सुन्दर मूर्ति पदमासन की मुद्रा में स्थापित है , इस सुन्दर व् विशाल मंदिर में 2 मई 1976 में 45 फीट लंबी और 12 फीट चोडी भगवान वाहुवलि स्वामी की मूर्ति स्थापित की गई है मूर्ति का वजन कुल 130 तन है यह उत्तरी भारत की पहली तथा देश की पाँचवी बड़ी प्रतिमा है एवम् चंद्रप्रभु की सुन्दर प्रतिमा भी स्थापित है सम्पूर्ण भारतवर्ष से जैन मतावलंबी महावीर दिगंबर जैन मंदिर के दर्शनार्थ हजारो की संख्या में प्रति माह आते रहते है।
    7. श्री हनुमान मंदिर फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 9 किलोमीटर दूरी पर मराठा शासन काल में श्री वाजीराव पेशवा द्वितीय द्वारा इस मंदिर की स्थापना एक मठिया के रूप में की गयी थी यहां 19 वीं शताब्दी के ख्याति प्राप्त तपस्वी चमत्कारिक महात्मा वावा प्रयागदास की चरण पादुकाएं भी स्थित है।
    8. गोपाल आश्रम फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 9 किलोमीटर दूर सेठ रामगोपाल मित्तल द्वारा बाई पास रोड स्थित गोपाल आश्रम का निर्माण 1953 में कराया गया, आश्रम में 57 फीट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है, इस आश्रम में एक विशाल सत्संग भवन है यहां पर प्रतिदिन सत्संग होता है।
    9. पंचमुखी महादेव मंदिर फिरोजाबाद- हिरनगऊ से लगभग 10 किलोमीटर दूरी पर फिरोजाबाद जिले के मौहल्ला दुली स्थित प्राचीन श्री पंचमुखी महादेव मंदिर का इतिहास काफी पुराना है मान्यता है कि दुलीचंद ने इसका निर्माण कराया था।
    10. धीरपुरा का किला फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 10 किलोमीटर दूर ग्राम धीरपुरा बसा हुआ है स्थानीय चौहान सरदार धीरसिंह ने धीरपुरा किला की स्थापना की थी, सरदार धीरसिंह के नाम पर इस ग्राम का नाम धीरपुरा रखा गया।
    11. कोटला का किला फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 12 किलोमीटर दूरी पर 1884 के गजेटियर के अनुसार कोटला का किला जिसकी खाई 20 फीट चौडी, 14 फीट गहरी, 40 फीट ऊंची दर्शायी गयी है भूमि की परधि 284 फीट उत्तर, 220 फीट दक्षिण तथा 320 फीट पूर्व तथा 480 फीट पश्चिम में थी वर्तमान में ये किला नष्ट हो गया है किन्तु अब भी इसके अवशेष देखने को मिलते है।
    12. जारखी रियासत फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 12 किलोमीटर दूरी पर बसा गांव जारखी सन् 1803 में जारखी के सुंदर सिंह व दिलीप सिंह के पास 41 गांव थे पहले इनका सम्बन्ध भरतपुर और मराठो से रहा था। सन् 1816 और 1820 के बीच डेहरी सिंह जो कि दिलीप सिंह के पोते थे इस रियासत के मालिक थे उन्होंने सरकारी मालगुजारी बंद कर दी, इसलिए रियासत हाथरस के राजा दयासिंह के पास चली गयी किन्तु जब अग्रेजों और दयासिंह में मतभेद हुए तो सरकार ने यह रियासत डेहरी सिंह के पुत्र जुगल किशोर सिंह को वापस कर दी।
    13. चंद्रवार का किला फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 13 किलोमीटर दूर यमुना तट पर ग्राम चंद्रवार बसा हुआ है यहां पर मौहम्मद गौरी एवं जयचंद का युद्ध हुआ था, इसी युद्ध में कन्नौज के सम्राट जयचंद को वीरगति प्राप्त हुयी थी, जैन विद्वानों की यह मान्यता थी कि यह क्षेत्र श्रीकृष्ण भगवान के पिता वासुदेव द्वारा शासित रहा है।
    14. प्राचीन शांतेश्वर महादेव शिवजी मंदिर- हिरनगऊ से लगभग13 किलोमीटर दूरी पर हाथवंत रोड पर स्थित गांव सांती बसा हुआ है, जो सेकडों साल पुराना है सांती गांव में बसे हुए इस मंदिर का जिक्र फिरोजाबाद गजेटियर में आता है, गजेटियर के मुताबिक महाभारत कालीन राजा शान्तुन ने इस मंदिर की स्थापना करायी थी, मंदिर में जहां पर शिवलिंग स्थापित है वहां नित्य प्रतिदिन 1 सर्प आता था, राजा शान्तुन को साप को देखकर कोई चमत्कार होने की उम्मीद लगी, तो उन्होंने यहा खुदाई करायी, खुदायी के दौरान स्वंय एक शिवलिंग प्रकट हुआ तभी राजा शान्तुन ने यहां मंदिर की स्थापना करायी जो शातेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
    15. राजा शान्तनु का किला फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 13 किलोमीटर दूरी पर हाथवंत रोड पर स्थित सांती ग्राम में राजा शान्तनु का किला था।
    16. देवर्षि नारद मुनि आश्रम फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभक25 किलोमीटर दूर ग्राम नारखी देवर्षि नारद मुनि जी के आश्रम/तपोभूमि के लिए जाना जाता है नारद जी के नाम पर ग्राम का नाम नारखी पडा है, यहां पर नारद जी मंदिर व आश्रम बना हुआ है।
    17. फतेहपुर करखा रियासत फिरोजाबाद - हिरनगऊ से 49 किलोमीटर से दूर शिकोहाबाद क्षेत्र का फतेहपुर करखा ग्राम सेकडों वर्ष पुराना ऐतिहासिक ग्राम है, यह सिरसागंज बटेश्वर मार्ग पर बसा हुआ है यहां मुस्लिम काल में कई युद्ध लडे गये है मेवातियों ने रपडी के राजाओं को यही हुये युद्ध में हराया था खेतों की खुदाई में 10 वीं शताब्दी तक के कई अवशेष प्राप्त हुये है इस ग्राम के चारो ओर तालाब व पुराने कुऐं अब भी जीर्णावस्था में मौजूद है। आल्हा ऊदल के समय के माणों परिवार के लोग यहां आकर बसे थें 17 वीं व 18 वीं शताब्दी में चोबें लोगों की यहां जमीदारी रही है।
    18. परीक्षित नगरी पाढम फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 50 किलोेमीटर दूरी पर एका शिकोहाबाद मार्ग पर स्थित परीक्षित नगरी पाढम की मान्यता है कि अर्जुन के पौत्र तथा अभिमन्यु के पुत्र महाराजा परीक्षित की नागदंश के फलस्वरूप मृत्यु के उपरान्त उनके पुत्र जनमेजय ने पृथ्वी के समस्त नागों को नष्ट करने के लिए इसी स्थान पर नाग यज्ञ किया था पाढम खेढे की ऊंचाई 200 फुट है इस खेढे की खुदाई में 3.5 गज की मौटी दिवारे निकली है खुदाई से प्राप्त ईटे विभिन्न आकार में 1 फुट से लेकर 1.5 फुट तक लम्बी है खेढे पर एक प्रचीन कुआ है जिसे परीक्षित कूप कहा जाता है जनमेजय का नाम यज्ञ कुण्ड भी खेढे की समीप ही है।
    19. रपडी का किला फिरोजाबाद - हिरनगऊ से लगभग 52 किलोमीटर दूर शिकोहाबाद से दक्षिण किनारे यमुना नदी के निकट राय जोरावर सिंह ने रपडी को बसाया था इस छोटे राज्य का विस्तार यमुना के खारों और शिकोहाबाद मुस्ताफाबाद, घिरोर तथा बरनाहल के परगने तक था राजा जयचंद को पराजित करने के बाद विजयी मुस्लिम सेना ने सन् 1194 में रपडी के राजा पर आक्रमण कर करखा युद्ध में पराजित किया तब से रपडी मुगल शासन की जागीर के रूप में रही, पुराने समय में लगभग 1 किलोमीटर के दायरा में विशाल किला बना होगा।

हवाईअड्डा

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  • आगरा- हिरनगाँव से आगरा हवाईअड्डा लगभग 47 किलो मीटर दूरी पर है।
  • दिल्ली- हिरनगाँव से दिल्ली हवाईअड्डा लगभग 250 किलो मीटर है।
  • लख़नऊ- हिरनगाँव से लखनऊ हवाई अड्डा लगभग 330 किलो मीटर है।
  • वाराणसी- हिरनगाँव से वाराणसी हवाई अड्डा लगभग 570 किलो मीटर है।
  • प्रयागराज- सिविल एयरपोर्ट लगभग 400 किलोमीटर है

यातायात

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  • राजस्व ग्राम-हिरनगाँव के नजदीक ही हिरनगाँव रेलवे स्टेशन लगभग 1.5 किलो मीटर की दूरी पर है
  • सन 1862 में 1 अप्रैल को टूण्डला से शिकोहाबाद के लिए पहली रेलगाड़ी चालू हुई एव इसके अगले वर्ष से मार्च 1863 से टूण्डला से अलीगढ तक रेल चलने लगी।
  • जिला गजेटियर्स ऑफ़ द यूनाइटेड प्रोविंसेस आगरा वर्ष 1905 में हिरनगऊ रेलवे स्टेशन का नाम अंकित है
  • अलीगढ़ गजेटियर्स ऑफ द जिला गजेटियर्स ऑफ़ द यूनाइटेड प्रोविंसेस आगरा और अवध वर्ष 1909 में हिरनगऊ रेलवे स्टेशन का नाम अंकित है
  • स्वतंत्रता सेनानियों ने 17 अगस्त 1942 दिन सोमवार को हिरनगऊ रेलवे स्टेशन में आग लगा दी
  • राजस्व ग्राम-हिरनगाँव मैं आने जाने हेतु टैक्सी एवम् टैम्पू की समुचित व्यवस्था है।
  • राजस्व ग्राम-हिरनगाँव से 8 किलो मीटर दूरी पर फ़िरोज़ाबाद रोडवेज बस स्टैण्ड है

उत्तर प्रदेश में सर्वप्रथम काँच का कारखाना हिरनगाँव रेलवे स्टेशन पर स्थापित है। जो की वर्तमान में बंद है। हिरन गाँव के निकट 2 किलो मीटर पर काँच के अनेको कारखाने/ फैक्ट्रीया लगी हुई है जिसमे काँच के अनेको प्रकार के आइटम तैयार किये जाते है। जैशे- चूड़िया, झूमर, ग्लास, आदि। यहाँ पर मकान बनाने वाले कुशल कारीगर राजमिस्त्री,एवम् वेलदार अनुसूचित जाति में काफी संख्या में है जो कि भव्य एवम् सुन्दर इमारतों को बनाने में सक्षम है

राजस्व ग्राम-हिरनगाँव में प्राथमिक विद्यालय हिरनगाँव एवम् एक महाविद्यालय भी है 

हिरनगऊ (वर्तमान राजस्व ग्राम-हिरनगाँव) मैं प्राथमिक पाठशाला की स्थापना 1889 में हुई थी 

आगरा गजेटियर सन 1905 के अनुसार- हरनगऊ, हिरनगऊ (वर्तमान राजस्व ग्राम-हिरनगाँव) प्राथमिक पाठशाला मैं पढ़ने वाले विद्यार्थियों की उपस्थिति लगभग 29 की संख्या में थी

आगरा गजेटियर सन 1912 के अनुसार- हिरनगऊ (वर्तमान राजस्व ग्राम-हिरनगाँव) प्राथमिक विद्यालय मैं पढ़ने वाले विद्यार्थियों की उपस्थिति लगभग 72 की संख्या में थी जो कि वर्तमान में मॉडर्न स्कूल बनाया जा रहा है।

हिरनगऊ (वर्तमान राजस्व ग्राम-हिरनगाँव) फिरोजाबाद में प्राथमिक पाठशाला बनवाने के लिए खुशालीराम तिवारी पुत्र तेजसिंह तिवारी द्वारा जमीन दान में दी गई जिसमे आज प्राथमिक पाठशाला सुशोभित है बर्तमान में गाँव के अधिकांश विद्यार्थी यहाँ शिक्षा प्राप्त करते है।

स्वास्थ्य

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  • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उसायनी के अधीन ग्राम हिरनगऊ मैं स्वास्थ्य उपकेंद्र स्थापित है स्वास्थ्य उपकेंद्र नाम को परिवर्तित कर आयुष्मान भारत योजना के तहत ग्राम हिरनगऊ मैं हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर (एच डब्लू सी) स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र वर्तमान में (आयुष्मान आरोग्य मंदिर ) की स्थापना वित्तीय वर्ष 2018-19 में की गई जो वर्तमान में संचालित है इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य निम्नलिखित सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करना है
  • सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला
    1. गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान देखभाल।
    2. नवजात और शिशु स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ
    3. बाल एवं किशोर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ।
    4. परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक सेवाएँ और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ
    5. राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम सहित संचारी रोगों का प्रबंधन
    6. सामान्य संचारी रोगों का प्रबंधन तथा तीव्र साधारण बीमारियों और छोटी बीमारियों के लिए बाह्य रोगी देखभाल।
    7. गैर-संचारी रोगों की जांच, रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन
    8. सामान्य नेत्र और ईएनटी समस्याओं की देखभाल
    9. बुनियादी मौखिक स्वास्थ्य देखभाल
    10. वृद्धजन एवं उपशामक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ
    11. आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ
    12. मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों की जांच और बुनियादी प्रबंधन
  • हिरनगऊ हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर (एच डब्लू सी) स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र के अंतर्गत -हिरनगऊ, अकबरपुर, जरौली खुर्द, नागऊ, उलाऊ खेड़ा,ग्राम आते हैं

इन्हें भी देखें

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बाहरी जोड़

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सन्दर्भ

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  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975

3.https://gazetteers.up.gov.in/en/page/gazzetters फिरोजाबाद गजेटियर

4. https://books.google.co.in/books?id=q5ZjAAAAMAAJ&q=%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B5&dq=%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B5&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwj5_9rAp-iIAxUIla8BHcyNGXQ4FBDoAXoECAQQAw#%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B5 पंडित राजेश दीक्षित लेखक